जय जय कर्मा माता, जय जय कर्मा माता ।
तेरी कथा सुखदायी, सतमारग है प्रदाता ।।
जय जय कर्मा माता, जय जय कर्मा माता.
चैत्र कृष्ण एकादशी जन्मी, कुल का नाम जगायी ।
रामशाह की दुलारी बेटी, कर्मा नाम कहायी ।।
तेरी भक्ति है जग विख्याता, जय जय कर्मा माता.
बालापन से तुमने माता, भक्ति में ध्यान लगायी ।
अनुपम तेरी भक्ति प्रभु को, हाथों से खिचड़ी खिलायी ।।
भाव निश्चल सबको सिखाता, जय जय कर्मा माता..
आन पड़ी विपदा स्वजनों पर, तुमने राह दिखायी ।
भाव विह्वल होकर माता, प्रभु को आवाज लगायी ।।
कान्हा भक्तों की लाज बचाता, जय जय कर्मा माता..
अनगिन कष्ट सहे जीवन में, कितने संकट झेले ।
किंतु समर्पण कम न हुआ, पुरी धाम चलीं अकेले ।।
सारे भक्तों को राह दिखाता, जय जय कर्मा माता.
बैठ गई मंदिर के बाहर, कान्हा को खिचड़ी खिलाने ।
जगन्नाथ जी आतुर दौड़े, अपना वचन निभाने ।।
तेरी खिचड़ी का भोग लगाता, जय जय कर्मा माता..
सत्कर्म की तुम प्रेरणा, नेकी की राह दिखायी ।
संगठन की शक्ति से, परिचय सबको करायी ।।
होती निष्ठा सदा फलदाता, जय जय कर्मा माता.
भक्ति की पराकाष्ठा, शिरोमणी कहलायी ।
तेरी महिमा की गाथा, नर नारी सब गायी ।।
जग श्रद्धा से शीश नवाता, जय जय कर्मा माता.. जय जय कर्मा माता, जय जय कर्मा माता ।