रायपुर - स्वाभिमान मंच के नेताओं को भरोसा है कि चुनावों में छत्तीसगढ़ में स्थानीयता की भावना को उन्हें फायदा मिलेगा और सभी वर्ग उनका साथ देंगे। मंच ने सोशल इंजीनियरिंग को साधने के लिए ही सतनामी समाज के गंगूराम बघेल और डीपी घृतलहरे को पार्टी में शामिल किया है। लेकिन साहू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद पार्टी को ज्यादा है छत्तीसगढ़ की राजनीति में साहू और दूसरे पिछड़े वोटरों की हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा को मिलाकर साहू समाज के कुल दस विधायक हैं । स्वाभिमान मंच के संयोजक राजकुमार गुप्ता का कहना है कि दुर्ग संभाग में डौंडी लोहारा, बालोद, गुंडरदेही, दुर्ग ग्रामीण, अहिवारा, पाटन, साजा, बेमेतरा और नवागढ़ सीटों पर साहू वोट बेहद अहम भूमिका निभाते हैं । लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि साहू वोटर पूरी तरह से स्वाभिमान मंच के साथ ही होंगे। परंपरानुसार साहू वोटर भाजपा के साथ रहे हैं । उनका मानना है कि साहू वोटर समाज के पक्ष में वोट देते हैं न कि किसी पाटी विशेष के पक्ष में। रायपुर की अभनपुर, राजिम, धरसींवा और आरंग सीटों पर भी साहू समाज का प्रभुत्व रहा है । बिलासपुर संभाग की मुंगेली,कोटा,बिल्हा, मन्तुरी, तखतपुर आदि सीटों में सतनामियों के साथ ही साहू वोटरों की भरमार है। बस्तर और सरगुजा संभाग की सीटों तथा भाटापारा, जांजगीर चांपा जशपुर, कोरबा, सिहावा, कुरूद, खैरागढ़, राजनगांव, रायगढ़, बिलासपुर, बसना, बलौदाबाजार आदि सीटों में भी साहू वोटर काफी संख्या में हैं । प्रदेश की कुछ आदिवासी सीटों को छोड़ बाकी जगहों पर साह महत्वपूर्ण हैं ।