रायपुर स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (सीएसवीटीयू) के नए कुलसचिव के रूप में घनाराम साहू की नियुक्ति की गई है. राज्य शासन तकनीकी शिक्षा विभाग ने सोमवार को इस आशय का आदेश जारी कर दिया. श्री साहू तकनीकी शिक्षा संचालनालय में अतिरिक्त संचालक के पद पर पदस्थ थे. सोमवार को ही विवि पहुंच उन्होंने अपना चार्ज भी ले लिया है. उनकी नियुक्ति डॉ. अशोक दुबे की जगह पर की गई है. डॉ. दुबे का कार्यकाल 23 जून को खत्म हो गया है.
राज्य शासन ने कुलसचिव पद पर नियुक्ति के लिए योग्य व्यक्तियों से आवेदन आमंत्रित किए थे. शासन को इसके पांच आवेदन प्राप्त हुए थे. इसमें श्री साहू के अलावा रायपुर महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एस.सी. बैरागी, गरियाबंद कॉलेज के प्राचार्य प्रकाश पांडेय, गरियाबंद पॉलीटेक्निक के प्राचार्य एस.डी.साहू व कवर्धा पॉलीटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य एस.के. सिंह के नाम शामिल थे. इसके अलावा डॉ. इंदु अनंत और पं. रविशंकर शुक्ल विवि के वर्तमान कुलसचिव केके चंद्राकार के नाम की भी चर्चा थी. इसके अलावा तकनीकी विवि के कुलसचिव डॉ. दुबे का नाम भी दौड़ में शामिल था. हालांकि उन्होंने पुनः नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं किया था. इसके बाद भी दौड़ में उनका नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन विवादित छवि के चलते उन्हें दुबारा मौका नहीं दिया गया. राजभवन की ओर से जारी एक आदेश के तहत उन्हें 23 जून को ही पद से हटने के निर्देश दे दिए थे. हालांकि उनकी जगह पर किसी की नियुक्ति नहीं की थी. इसके चलते वे ही कुलसचिव का पदभार सम्हाल रहे थे. इसके बाद से नई नियुक्ति को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन राज्य शासन ने सोमवार को सारे कयासों पर विराम लगाते हुए श्री साहू के कुलसचिव बनने पर मुहर लगा दी. श्री साहू अपना सादगी और निर्विवाद छवि के लिए जाने जाते हैं.
गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं साह
पं. रविशंकर शुक्ल विवि से 1982 में एमएससी भूविज्ञान में गोल्ड मेडल हासिल करने वाले श्री साहू इसके पहले कई पदों पर कार्यरत रह चुके हैं. दिसंबर 1982 से ही साइंस कॉलेज रायपुर में ततर्थ व्याख्याता के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत कारने वाले श्री साहू जून 1985 में लोक सेवा आयोग (पीएससी) के जरिए सहायक प्राध्यापक बने और उनकी पहली पदस्थापना बिलासपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई. एक वर्ष बिलासपुर में बिताने के बाद वे रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज आ गए. 2008 तक वे रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में रहे. 1997 से 2008 तक वे कॉलेज में एप्लाइड जियोलॉजी के विभागाध्यक्ष के पद पर पदस्थ रहे. इस दौरान 2004 से 2008 तक वे रविवि के इंजीनियरिंग संकाय के समन्वय के भी रहे. इसी दौरान उन्होंने परीक्षा और मूल्यांकन कार्य को बारीकी से देखा और सीखा. 2008 में एनआईटी बनने के बाद वे न्यू गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में आ गए. यहां रहते हुए ही वे जुलाई से सितंबर 2012 तक प्राचार्य के पद पर भी पदस्थ रहे. इसके बाद मई 2013 से वे तकनीकी शिक्षा संचालनालय में अतिरिक्त संचालक का कार्यभार देख रहे थे. श्री साहू भू-जल के विशेषज्ञ माने जाते हैं.
क्वालिटी एजुकेशन पर रहेगा जोर: साहू
कुलसचिव बनने के बाद श्री साहू ने खास बातचीत में कहा कि उनकी प्राथमिकता क्वालिटी एजुकेशन को लेकर होगी. प्रदेश में इंजीनियरिंग की करीब 20 हजार सीटें हैं. इनमें से आधी सीटें खाली रह जाती है. प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या में काफी अधिक हो गई. इसके चलते छात्रों को क्वालिटी एजुकेशन मिल नहीं पा रहा है. उन्होंने कहा कि उनका सबसे पहला प्रयास तकनीकी शिक्षा के प्रति छात्रों की रुचि बढ़ाना होगा और यहां की प्रतिभाओं को निखारना होगा.