जीजामगांव, ग्राम खुरसेगा निवासी रामचंद साहू पिता परदेशी राम साहू को महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र स्थित मानव विज्ञानविभागए मानविकी एवं सामाजिक अध्ययन विद्यापीठ द्वारा श्टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बैगा जनजाति में विस्थापन का प्रभाव एक मानव शास्त्रीय अध्ययन विषय शोधप्रबंधपर पीएचडी, की उपाधि दी गई. रामचंद साहू प्रोफेसर, डॉ. फरहद मलिक के शोध निर्देशन तथा प्रोफेसर, डॉ.बीएम मुखर्जी के सहशोध निर्देशन में यह शोध प्रबंध का कार्य पूर्ण किया है. इनका शोधप्रबंध आदिवासियों के सामाजिक सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय जीवन में विस्थापन के फलस्वरूप आये समस्या को प्रमुखता से उजागर करता है साथ ही साथ पर्यावरणीय संतुलन के नाम पर लगातार बनाये जा रहे बाघ संरक्षण परियोजना की रणनीति और राजनीति पर प्रकाश डालता है. विस्थापनए आदिवासी विस्थापनए पर्यावरणीय समस्याए आदिवासी संस्कृति आदि विषय पर कार्य करने वालों के लिए यह शोध प्रबंध एक मार्गदशिक की भूमिका अदा करेंगे. डॉ रामचंद साहू कृषक परिवार व ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं. इससे पूर्व वे वर्धा विश्वविद्यालय से एमफिल,2011 गोल्ड मेडलिस्ट रहें। हैंए साथ ही डॉ. रामचंद ने 2010 में यूजीसी की नेट, नेशनल इलिबिलिटी टेस्ट परीक्षा में सफलता प्राप्त कर चुके हैं. वतर्मान में डॉ. रामचंद साहू अपने गाँव तथा कुरूद क्षेत्र में सामाजिक जन जागरण के लिए प्रयासरत हैं.