देश की सीमा में मुश्तैदी के साथ अपने कर्तव्यों का निवर्हन करने वाले पडित घनश्याम प्रसाद साह सामाजिक एट रचनात्मक कार्यों में अपनी भागीदारी देते आ रहे है। सामाजिक समता के पक्षधर पड़ित श्री साहू जी विकास एवं उत्थान की सोच को सकारात्मक पहल के साथ क्रियान्वित करने में सफल हो रहे है।
सोच, नव निर्माण में हो सबळा योगदान:
पति श्री साहू जी ने चर्चा में बताया कि, सामाजिक उत्थान की सोच के साथ कार्य योजना के अंतर्गत युवाओं को रोजगार प्रशिक्षण की और अधिक से अधिक प्रेरित करने की जरूरत है। विकसित समाज में आर्थिक रूप से संपन्न युवा पीढ़ी की महती भूमिका हो सकती है। राजनीतिक चेतना जगाने के लिए अनुभवी एवं बुजुर्ग लोगों के कुशल मार्गदर्शन में काम करने की बात कही। सामाजिक संगठनों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित के साथ नारी सशक्तिकरण के लिए आवश्यक प्रयास होने चाहिए। समाज को शिक्षित एवं संस्कारित करने के लिए सभी अपना-अपना योगदान देकर समाज के नवनिर्माण में भागीदार बन सकते है।
पंडित की उपाधिः
महामहिम राष्ट्रपति निदेशक, अतिरिक्त महानिदेशालय थल सेवा अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय एकता स्थान पुणे महाराष्ट्र से पडित की उपाधि दी गई।
जिम्मेदारियों का निर्वहन :
साहू वैश्य महासभा पत्रिका में प्रबंध संपादक, पत्रिका महाप्रबंधक एवं अ.भा. साहू वैश्य महासभा में पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व निभाई। सेना में नायब सूबेदार के पद में पदस्थ 27 अक्टू 1997 को अपनी देशप्रेम की निष्ठा के साथ कर्तव्यों को निभाया।
तैलिक मित्र सेवा संघ भारत के निदेशक के रूप में समाज निर्माण का निरतः प्रयास जारी है। गायत्री शक्ति पीठ परिवार में सन् 1984 ये 1996 तक आध्यात्मिक सेवा देते हुए अपनी जिम्मेदारियों को कुशलता से निर्वहन किए। समाज में सकारात्मक साेच के साथ शिक्षा के क्षेत्र में विकास र स इस उददेश्य से सन 1990-91 में नवीन हाई स्कूल सारंगपुर कला की स्थापना किया गया। सन 2004 में गाय गुरुकुल विद्यालय की लेन्जाखार की स्थापना कर संस्कारित जीवन देने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। स्वजातीय पुरोहित के रूप में पूजा, अनुष्ठान और धार्मिक कर्मकाण्ड जैसे गृह प्रवेश-वास्तु शांति, नवग्रह शांति, कालसर्प दोष निवारण, नारायान आदि पूओं सम्पन्न करना। इसी प्रकार जन्मदिवस, विवाह, अंतिम संस्कार तर्पण आदि संस्कार, सत्यनारायण कथा, रामायण कथा आदि प्रवचन। साथ ही उत्सव मनाना, कवि गोष्टी, विचार गोष्ठी एवं मंच संचालन आदि में विशेष दक्षता प्राप्त ।
लक्ष्य एवं कार्य योजना:
समतावादी समाज की स्थापना का लक्ष्य लेकर समाज विकास के कार्य में अपने को समर्पित किए। सम्पूर्ण तैलिक समाज को सशक्त और समर्थ बनाने की सोच के साथ काम करने की कोशिश कर रहे है। समाज को आर्थिक रूप से संपन्न हो इस दिशा में आत्मनिर्भरता की ओर स्वरोजगार के लिए निरंतर प्रेरित कर रहे। आने वाली युवा पिढी काे राजनीतिक रूप से अग्रगामी बनाना । युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना आर्थिक संपन्नता की ओर ले जाने की सोच है।
सामाजिक सकारात्मक पहल से सुयोग्य जीवन साथी की तलाश करने में सहायता मिली - इस और प्रयास है। शिक्षा का समुचित विस्तार के सामाजिक स्तर पर विद्यालय की - स्थापना करके शिक्षित एवं संस्कारित जीवन प्रदान हो, इस और मैरा निरंतर प्रयास है। इसके साथ ही सामाजिक पुरोहित तैयार करना है। उनके माध्यम से सामाजिक परिवर्तन का प्रयास है। मंच, माला, माईक, मान और मुद्रा के बिना समाज को जागृत और सशक्त कर समाज के नव-निर्माण में भूमिका का निर्वहन करना हैं।