मिलनसार साहु समाज समाजसेवक, बाबूलाल साहू

         साधा-सरल स्वभाव तथा लोंगो से मिलनसारिता का गुण सामाजिक एवं व्यवहारिक जीवन में खास महत्व रखता हैं। मिलनसार व्यक्तित्व के लिए क्षेत्र में लोकप्रिय श्री बाबूलाल साहू का जीवन सरलता व सादगी से भरा हुआ है। अपनी बातों को मजबूती के साथ रखने के लिए आप जाने व पहचाने जाते है। क्षेत्र चाहे राजनीति का हो या समाज सेवा को, मिलनसारिता महत्वपूर्ण होती हैं। यदि इसमें सेवा का भाव का जोड़ दिया जाये तो उनकी जीवन शैली काफी प्रिय व प्रेरणात्मक हो जाती हैं। ऐसे ही बिरले स्वभाव के धनी हैं। श्री बाबूलाल साहू। पिताजी स्व. लतेल साहू जी को को बचपन में ही ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते देखे तथा पिताजी के सरपंच पद पर रहते हुए उनकी ईमानदारी व लगन निष्ठा को क्षेत्रवासी प्रशंसा करते नहीं थकते। वे गाँव के संपन्न व मजबूत किसान के रूप में जाने जाते थे। आपकी शिक्षा-दोना बहुत सामान्य परिवेश में हुआ। पढ़ाई का खर्च स्वयं वहन करने के उद्देश्य से रात के समय राईस मिल में काम भी किए। ताकि काम करते हुए आपको कोई देख न लेंवे। पिताजी को इसका ज्ञात हो गया था किन्तु उन्होंने परिवार को आर्थिक व्यवस्था में हाथ बंटाते हुए देखकर मन ही मन प्रसन्न हुए। इस बात का ज्ञान आपको कुछ वर्ष बीतने के बाद हुआ। मैट्रिक अध्ययन के पश्चात त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम वैद्य विसारद की पढ़ाई इलाहाबाद कॉलेज से पत्राचार के माध्यम से किया। बचपन से ही फिल्म देखने का बहुत शौक था। पिताजी को बिना बताएँ घर की पीछे हिस्से से कूदकर फिल्म देखने चला जाते थे।

शिक्षकीय जीवन का सफर:

         सन् 1972 से 1979 तक शिक्षक के दायत्व का निर्वहन किए। पहली पदस्थापना के अंतर्गत प्राथमिक शाला किरवई से अध्यापन का कार्य प्रारंभ किया। जहाँ पर पदोन्नत होकर पूर्व माध्यमिक शाला किरबई में ही अध्यापन का किया। तत्पश्चात बी.टी.आई. में प्रशिक्षण के लिए रायपुर चले आये। वहाँ पर लगातार दो वर्ष तक प्रशिक्षण केन्द्र के अध्यक्ष बने। प्रशिक्षण के दौरान ही सामाजिक जिम्मेवारी के निर्वहन हेतु शिक्षकीय जीवन से अपने आप को अलग कर सेवा के क्षेत्र में प्रवेश किए।

राजनीतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी:

         सन् 1975 से राजिम भक्तिन समिति का सदस्य बनकर समाज के सर्वागीण विकास के लिए समाज सेवा के क्षेत्र में कदम रखे। बहुत ही कम उम्र में समाज सेवा के क्षेत्र जुड़ गये। सामाजिक चर्चा-परिचर्चा में भाग लेते रहे। समाज को सभी बैंकों में बढ़-चढ़कर सम्मिलित होते थे। समाज के बड़े बुजुर्गों का लेह व आशीर्वाद सदैव मिलता रहा है। आपको कार्य कुशलता को सभी बहुत पसंद करते थे। 1978 में राजिम भक्तिन माता मंदिर समिति के सचिव बने ।

         राजनीति में आने के कारणों का जिक्र करते हुए श्री साहू जी बताते हैं कि राजिम व आसपास के क्षेत्र का जो विकास होना चाहिए था वो नहीं हो पा रहा था। इस क्षेत्र के लोग सिर्फमास्टर, पटवारी या फॉरेस्ट गार्ड के रूप में शासकीय नौकरी में चयनित होते थे। यहाँ पर प्रतिभावान छात्र-छात्राओं की कमी नही थी। फिर भी उनका कभी बड़े स्तर पर कभी चयन नहीं होता था। इस बात की पीड़ा सदैव मेरे मन रहती थी। मैं अपने क्षेत्र के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को ऊंचे पद देखना चाहता था। मेरी पीड़ा इस बात की भी थी कि श्री श्यामाचरण शुक्ल क्षेत्रीय विधायक के साथ मुख्यमंत्री भी थे। क्षेत्र की जनता को अपना परिवार जैसा मानते, फिर भी इस क्षेत्र से उच्च स्तर पर चयन हेतु उनके द्वारा कोई सार्थक पहल दिखाई नहीं दी। इसलिए नौकरी से त्याग पत्र देकर युवाओं स्वर्णीम भविष्य को एक नई दिशा देने के लिए राजनीति में प्रवेश किया। नवयुवकों के सुखद भविष्य के लिए हमेशा शासन-प्रशासन से लड़ाई लड़ता रहता है। आप हमेशा से ही दमनकारी नीतियों का विरोध करते रहे। आपको श्री विद्याचरण शुक्ल ने अनेकों बार अपने साथ आने का न्यौता दिया। आप शुरू से ही संत पवन दीवान के साथ जुड़कर कार्य किया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के शताब्दी समारोह में भाग लेने संत पवन दीवान जी के साथ नई दिल्ली गये थे। कार्यक्रम में माननीय राजीव गांधी जी से भी मुलाकात का अवसर प्राप्त हुआ था।

        छत्तीसगढ़ियों के स्वाभिमान की रक्षा के लिए सदैव लड़ाई लड़े। संत पवन दीवान जी के साथ मिलकर राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे। सन् 1975 से ही सक्रिय रूप से भाग लेना चालू कर दिए। सन् 1980 से पूर्ण रूप से कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए। कांग्रेस सेवा दल के जिला संयोजक के रूप में कार्य करते हुए राजनीतिक जीवन में प्रवेश किये।

दायित्वों का निर्वहन:

राजिम भक्तिन माता मंदिर समिति में सदस्य के रूप में सन् 1975 से जुड़ गए। सन् 1978 में समिति के सचिव पद की जिम्मेदारी का निर्वहन किया। 1981 से कांग्रेस पार्टी से जुड़े, सन् 1983 में अध्यक्ष मार्केटिंग सोसायटी फिंगेश्वर बनकर किसानों की आवाज बुलंद की। अध्यक्ष भक्तिन माता मंदिर समिति का कार्यभार सन् 1983 में संभाले। सन् 1993 में प्रदेश अध्यक्ष या प्रकोष्ठ साहू संघ रायपुर का दायित्व संभाला। सन् 1995 में प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ आदिवासी, हरिजन, पिछड़ा वर्ग महासमिति रायपुर बने । सन् 2002 में प्रदेश अध्यक्ष हेण्डीकेप वेलफेयर सोसायटी रायपुर का दायित्व संभाला। प्रदेश संयोजक छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग विकास संगठन रायपुर का निर्वहन किया। सन् 2013-14 उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी गरियाबंद बने । अभी वर्तमान में जिलाध्यक्ष कांग्रेस कमेटी गरियाबंद के पद पर कार्य करते हुए निरंतर पार्टी को मजबूत एवं विचारों को जन-जन तक पहुँचा का काम कर रहे है।

पत्रकारिता से गहरा नाता :

         सन् 1975 ये सन् 2013 तक देश के सभी प्रतिष्ठित अखबारों में पत्रकार के रूप में कार्य करने का सुखद अनुभव रहा। अखबार दैनिक भास्कर, देशबंधु, अमृत संदेश, जनसत्ता में अपनी निर्भीक पत्रकारिता का परिचय देते हुए क्षेत्र के विकास की सोच को जनमानस में लाने का काम प्रमुखता के साथ किए।

जीवन का आदर्श:

          श्री साहू ने बताया कि, अपना आदर्श माता-पिता को मानते हैं। ये ही मेरे गुरु है। माता-पिता को कड़ा परिश्रम करते हुए सदैव देखते आये हैं। काम के प्रति पूर्ण ईमानदारी, स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीने की प्रेरणा मुझे हमेशा साहस देता रहा है। पिता जी ईमानदार व्यक्तित्व मुझे उर्जा देने का काम करती है। किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करने की सीख मुझे इन्हीं से मिला। वे मेरे लिए देवतुल्य हैं।

दिनांक 22-06-2019 09:38:58
You might like:
Sant Santaji Maharaj Jagnade Sant Santaji Maharaj Jagnade
संत संताजी महाराज जगनाडे

About Us

Teliindia.in it is a website
of teli Galli magazine.
It is about teli Samaj news and
teli Samaj matrimonial From 40 years

Thank you for your support!

Contact us

Teli India, (Abhijit Deshmane)
Pune Nagre Road, Pune, Maharashtra
Mobile No +91 9011376209, +91 9011376209
Email :- Teliindia1@gmail.in