मिलनसार व्यक्तित्व के धनी डॉ. दयाराम साहू का जीवन को टटोला जाय तो अनेको अनुभवों के साथ-साथ प्रेरणात्मक बातें भी नजर आती है। सभी से मिलने जुलने के कारण उनकी छवि हमेशा ही आम लोगो के लिए कौतूहल का विषय रहता है। गायत्री परिवार से जुड़े श्री साहू का जीवन बहुत ही अध्यात्मिकता से भरा हुआ है। धार्मिक विचारधारा से जुड़े हुए व्यक्ति है। किसी भी व्यक्ति का जीवन संघर्ष से हो निखरता हैं। संघर्ष के बल पर हर अंग जीती। जा सकती है। इसके लिए जरूरी नहीं शरीरबल का प्रयोग हो। आत्म सम्मान के साथ आत्मनिर्भर होकर जीने की कला से भी संघर्ष को बल दिया जा सकता है। आज का समय स्वालंबी बनने की दिशा में सार्थक पहल की ओर दर्शाता है। हमेशा से आपकी सोच कुछ हटकर करने की रही है। आपका मानना है कि यदि किसी को नौकरी करोगे तो अधीनस्थ रहकर सीमा में बंध जाओगे। जीवन का सार है कि स्वरोजगार की ओर प्रेरित होकर कार्य करें। इससे आप, अपना व परिवार का भरण-पोषण तो करोगे साथ ही अन्य दस परिवार का सहारा बनोगे। इसके लिए कड़ी मेहनत साथ कठिन संघर्ष से नाता जोड़ना होगा। तभी हम अपने कार्य और अपनी जिम्मेवारी के साथ न्याय कर पायेंगे। नौकरी की चाह में जो हमारा वर्तमान मिला हुआ उसे न खोएं बल्कि इसका सदुपयोग के माध्यम से आज को बेहतर बनाकर आने वाला समय को और भी बेहतर बनाने के लिए प्रयास करे।
बचपन का जीवन:
संपन्न परिवार से नाता रखने वाले डॉ. दयाराम साहू का जीवन हमेशा से ही सेवा भाव व संघर्षों के पाठ के साथ बीत रहा है। परिवार का जीवन खेती-किसानी पर निर्भर । लगभग पचास एकड़ की खेती के साथ किसानी का भी काम करते आ रहे हैं। सन् 1960 से 62 एवं सन् 1972 से 75 अकाल के समय का जीवन बहुत ही विकराल था। इस दौरान बहुत ही संघर्ष के पल गुजारने पड़े। नजदीक से गरीबी जीवन को महसूस किया। क्षेत्र में अकाल के समय में कुटनी, ज्वार बाजरा से जीवन निर्वाह करना पड़ा। अकाल का दौर बहुत ही विकट स्थिति वाला था। बताया कि चावल को पाने के बाद उस पसिया में थोड़ा चावल गिराकर उसमें नमक डालकर गरीब बच्चों को देना पड़ता था। चोकर की रोटी से जीवन गुजर बसर करने की विकराल स्थिति निर्मित हुई। लोगों को लाल ज्वर व सफेद ज्वार से जीवनयापन करना पड़ता था। शासन की ओर से लाल ज्वार का वितरण किया जाता था। उस दौरान गरीबी व गरीबों के दर्द को बहुत ही नजदीक से देखा। वहीं से समाज सेवा में ध्यान आकर्षित हुआ। अभी वर्तमान में पार्टी के द्वारा मिले सभी दायित्वों को पूरा करते हुए कार्य कर रहे हैं। पार्टी की रीति-नीति व विचारधारा से जन-जन को अवगत कराते हुए सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में सक्रिय हैं।
सन 1976 में कॉलेज की पढ़ाई की। 1977 से राजनीतिक जीवन में अपनी सहभागिता देना चालू किया। गुण्डरदेही जनता पार्टी मण्डल के पदाधिकारी बने । सन् 1980 में भाजपा के मण्डल पदाधिकारी बनकर पार्टी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का काम किया। सन् 1980 में डॉक्टरी पेशा से जुड़कर क्षेत्र लोगो को स्वास्थ्य सुविधाएँ देते रहे। इसी दौरान मुझसे चुनाव लड़ने के बारे जानना चाहा। मैंने कहा कि अभी मैं फिलहाल अपने क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य लाभ देना चाहता हैं। इस कारण मैं विधानसभा स्तर पर चुनाव नहीं लड़ते हुए पूरी तरह से स्वास्थ्य के स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूर्ण समर्पण भाव से सेवा की कार्य करते रहे। सन् 1990 में जय ताराचंद साहू जी विधानसभा का चुनाव लड़े तो उनके चुनाव प्रचार में खूब मेहनत किए। इस चुनाव में शानदार जीत मिली। चुनाव के बाद विधायक प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वहन किया। सन् सामाजिक जागरूकता को देखते हुए साहू समाज का जिलाध्यक्ष बनाया गया। सन् 1994 में प्रदेश भाजपा का पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का उपाध्यक्ष बनाया गया। सन् 1996 में उपचुनाव में पहली बार विधानसभा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरा। शासन के विरूद्ध ऐतिहासिक जीत मिली। सन् 1998 में फिर चुनाव हुआ। सन् 2000 से 2015 तक प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व संभालें। किसानों के हितों के लिए हमेशा संघर्ष किया। श्री साहू ने आगे बताया, धरना प्रदर्शन, आंदोलनों के माध्यम से किसानों की बातों को प्रमुखता के साथ रखते थे। विधायक कार्यकाल के दौरान भाटागांव उद्वहन सिंचाई के लिए 9 दिन का आमरण-अनशन किया गया। इसी दौरान आध्यात्मिक ज्ञान का बोध हुआ। किसानों के लिए संघर्ष करके मन को अच्छा लगने लगा। उनके लिए शारीरिक, मानसिक संघर्ष करना पड़ा यह मेरे लिए बहुत ही सुखद पल रहा। किसानों एवं क्षेत्रवासियों के हितों के लिए सदैव संघर्ष करते हुए आ रहे हैं।
जीवन का आदर्श:
माता पिता को अपना आदर्श मानकर जीवन पथ पर आगे बढ़ रहे। उनके द्वारा मिली सीखें जीवन में उतारते हुए अपने दायित्वों का पालन कर पा रहे हैं। दाऊ केजूराम वर्मा पूर्व विधायक भाटागांव एवं दाऊ घनाराम साहू पूर्व विधायक गुंडरदेही को अपना आदर्श मानते हैं।
राजनीतिक जीवन में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटलबिहारी वाजपेयी, वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के जीवन से काफी प्रेरणा मिलती है। ऐसे विकासपुरूषों के व्यक्तित्व से जीवन में सीख के साथ नई उर्जा का संचार होता है।