सेवा ही जीवन की पहली प्राथमिकता बाबूलाल साहू

         क्षेत्रवासियों की सुख-दु:ख में अपनी बराबर सहभागिता देने वाले मिलनसार व्यक्तित्व के धनी श्री बावृलाल साहू का जीवन सरलता से परिपूर्ण है। क्षेत्रवासियों एवं समाज के लोगो की सहयोग के लिए सदैव उपलब्ध रहते हैं। उनकी सेवा भावना से सभी लोग प्रभावित है। क्षेत्र में साफ सुथरी छवि तथा मिलनसारिता के लिए जाने व पहचाने जाते हैं।

        गाँव में पूरी कक्षा तक स्कूल नहीं थी। इस कारण पढाई विभिन्न स्थानों में पूरी हुई। प्राथमिक स्कूल की पढ़ाई गाँव में रहकर पूरी की। मीडिल स्कूल की पढ़ाई के लिए विश्रामपुर, हाईस्कूल नांदघाट, हायरसेकेण्डरी टेमरी में हुई। पढ़ने की ललक बचपन से साफ नजर आता था। पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहते थे। कॉलेज की पढ़ाई बिलासपुर में रहकर पूर्ण किए। सामान्य परिवार से संबंध रखने वाले श्री साहू का जीवन खेतीकिसानी के साथ व्यतीत हो रहा हैं। इनके साथ ही मेडिकल स्टोर्स के व्यवसाय से जुड़कर आर्थिक विकास की ओर निरंतर बढ़ रहे है।

अध्यात्मिक जीवन की ओर झुकाव :

         सन् 1999 में अग्रज भाई श्री राजकुमार साव भाटापारा वाले के माध्यम से संस्था अंतर्राष्ट्रीय सिद्धाश्रम परिवार से जुड़े। गुरूदेव श्रीमाली जी से दीक्षा ग्रहण के पश्चात आध्यात्मिक जीवन से जुड़ाव हुआ। इस दौरान यज्ञ, अनुष्ठान आदि का आयोजन वृहद स्तर पर निरंतर क्षेत्रवासियों के विकास एवं प्रगति के लिए करते रहे। आध्यात्मिक जीवन का आचरण अपने व्यवहारों में सदैव अपनाते आ रहे हैं।

         श्री साहू एक घटना का जिक्र करते हुए बताते हैं कि, सवा करोड़ गुरूमंत्र का अनुष्ठान निरंतर 36 घण्टों का दो दिन एक रात तक लगभग 500 से 700 अनुयायी के संग बाहर पण्डाले लगाकर मंत्रोपचार का पाठ किया जा रहा था। पण्डाल के बाहर का वातावरण बहुत ही गर्म था। किन्तु अनुष्ठान स्थल इसके विपरीत बहुत ही शीतलता का अनुभव होता था। इस आयोजन में लगभग 3000 की संख्या में उपस्थित होकर अनुष्ठान के सहभागी बने । स्वप्रेरणा से ही इस आयोजन को करने का मन में विचार आया था। इसके बाद 52 दिनों तक अखण्ड हवन, लगातार इतने दिनों तक मंत्रोपचार अनुष्ठान चावल के एक एक दाने का साथ संकल्प कर पूर्ण किया। यह प्रतिदिन 24 घण्टे निरंतर होने वाली प्रक्रिया का अंग था। इस पूरे क्षेत्र को अकाल के प्रभाव से मुक्त रखा। सन् 2008-09 के बाद सूखे की स्थिति हमारे क्षेत्र में कभी नहीं हुई।

समाज सेवा के पथ पर:

सन् 2008 से ही समाज सेवा के क्षेत्र में अपने आप को जोड़कर समाज के समुचित उत्थान की दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं। सन् 2009 में संयुक्त जिला रायपुर से अंकेक्षण के पद को कुशलता के साथ निभाया। सन् 2012 से तहसील उपाध्यक्ष बनने के बाद लगातार 2016 तक पद पर कार्य करते रहे। मई 2016 में साहू समाज सिमगा तहसील अध्यक्ष बनने के बाद समाज को संगठित एवं एकता के सूत्र में बांधने के लिए आपके द्वारा लगातार काम किया जा रहा है। कार्यक्रमों का आयोजन से सामाजिक विकास की सोच को मृत रूप दिया जा रहा है। इस हेतू आपका प्रयास हमेशा रहा है। समाज को नई दिशा देने के साथ क्षेत्र के लोगों में सामाजिक सोच को जगाने का। भरपूर प्रयास किया जा रहा है। आज इन्हीं प्रयासों के माध्यम से शिक्षा के प्रति लोंगो में जागरूकता बढ़ी है। व्यवसाय के क्षेत्र में खुद को जोड़कर आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास की दिशा में सार्थक पहल साबित हो रहा है। सामाजिक सुधार के लिए सतत् चिन्तन, मनन किया जा रहा है। जिसमें तहसील साहू समाज सिमगा को लगातार सफलता मिल रही है।

राजनीतिक सफर:

          सन् 2015 से कांग्रेस पार्टी में सम्मिलित होकर क्षेत्र के विकास एवं उन्नति के लिए आपके द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं । सन् 2016 में जिला किसान कांग्रेस को महामंत्री, जिला उपाध्यक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ विभाग कांग्रेस बलौदाबाजार को मिली जिम्मेदारियों को निभाते आ रहे हैं। जनता की सेवा को अपना परम कर्तव्य मानकर सेवा के क्षेत्र में अनवरत कार्य कर रहे हैं। गरीब, किसान, जरूरतमंदों के संघर्ष के लिए सतत संघर्षकर उनके समुचित विकास के निरंतर काम कर रहे हैं।

समाज सुधार की दिशा में पहल:

         समाज को और अधिक सशक्त एवं संगठित करने के उद्देश्य से जागरूकता की पहल की जा रही है। समाज के नव निर्माण में सभी को अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उच्च शिक्षा के साथ, व्यवस्था के प्रति रुझान पैदा करने के लिए हमेशा चिन्तन-मनन करके प्रेरित किया जा रहा है। युवा पीढ़ी को विशेष प्राथमिकता के साथ समाज में योगदान देने हेतु आगे लाने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है।

        आपका मानना है कि, शिक्षित युवाओं के कुशल नेतृत्व से समाज को गति प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं, शिक्षा के माध्यम से युवा पीढ़ी को सामाजिक कार्यों के प्रति अग्रसर किया जा सकता है। हमारा समाज स्वालंबी बने इसके लिए किसी पर आश्रित न होकर, स्वरोजगार की ओर आगे बढ़े। इससे खुद का विकास तो होगा थे परिवार को मजबूती प्रदान कर सकते है। सामाजिक कुरीतियों को सकारात्मक पहल के साथ सुधार करते हुए एक स्वर्णीम समाज के नवनिर्माण में सभी अपनी महती भूमिका निभा सकता है। आदर्श विवाह साहू समाज की देन है। इस हेतू हम सबका फर्ज होना चाहिए कि आदर्श विवाह के प्रति लोगों को जोड़कर सभ्य एवं संस्कारित जीवन निर्माण में सहयोग प्रदान करे।

जीवन में आदर्श एवं प्रेरणा :

         अपने बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद व प्रेरणा से समाज सेवा के क्षेत्र में जुड़कर कार्य कर रहे हैं। बचपन से ही समाज के प्रति कुछ करने की चाह थी। इसी चाह को मूर्त रूप देने सामाजिक उत्थान की दिशा में नवसंचार का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। अपने से बड़े-बुजूर्गों के अनुभवों का लाभ समाज को दिलाने के उद्देश्य से सदैव उनसे विचार-विमर्श करते रहते हैं, उनसे उचित मार्गदर्शन लेते रहते हैं।

दिनांक 23-06-2019 17:09:51
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