श्री राम नरायन साहू जी सांसद से समाज के एक वरिष्ठ नागरिक एवं अवकाश प्राप्त पी०सी०एस० साहू बी० पी० जायसवाल ने उनके जीवन तथा समाज की प्रगति से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर बातचीत की। बातचीत का संक्षिप्त विवरण प्रश्न उत्तर के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है -
1. प्रश्न - विद्यार्थी जीवन में तथा राजनीति में आने से पहले आपने अपने जीवन के सम्बन्ध में क्या कल्पना की थी?
उत्तर- मेरा परिवार पहले से व्यापार में था, इसलिए मैंने उस समय व्यापार करने की ही बात सोची थी।
2. प्रश्न- पहले आप राजनीति में आए या समाज सेवा में या दोनों में एक साथ?
उत्तर - पहले मैं व्यापार में आया, फिर समाज सेवा में और समाज सेवा ने ही राजनीति में प्रवेश के द्वार खोले । समाज सेवा की प्रेरणा तो मुझे बड़े भाई श्री शिव नरायन साहू से मिली। उन्हीं के उत्तराधिकार को संभाला, और जब समाज में कुछ पहचान मिली तो सबसे पहले मैंने मेयर का चुनाव लड़ा परन्तु मैं हार गया। उसी आधार पर मुझे समाजवादी पार्टी ने सांसद के लिये उपयुक्त समझा और बनाया भी।
3. प्रश्न - व्यापार में अच्छा खासा कदम रखने के बाद राजनीति में आने की क्या आवश्यकता महसूस हुई
उत्तर - चुनाव एक 'स्टेटस सिम्बल' है। राजनीति के द्वारा समाज सेवा को सफलता पूर्वक किया जा सकता है। राजनीति से ही विकास के सारे द्वार खुलते हैं।
4. प्रश्न - राजनीतिक व्यस्तता से समाज सेवा के कार्यों में बाधा तो नहीं पड़ती?
उत्तर - बिल्कुल नहीं। न तो व्यापार और न समाज सेवा प्रभावित होती है। यदि और भी जिम्मेदारी मिलें तो उसे भी निभाया जा सकता है।
5. प्रश्न - समाज में फैली तमाम कुरीतियों जैसे अशिक्षा, बाल विवाह, दहेज प्रथा व पुनर्विवाह का न होना इन पर आप के क्या विचार है?
उत्तर - समाज में फैली सारी कुरीतियों की जड़ अशिक्षा है। अतः हमें शिक्षा प्रसार के लिये विशेष कर महिला शिक्षा पर जोर देना चाहिए। महिलाओं के लिये अलग शिक्षा पर जोर देना चाहिए। महिलाओं के लिये अलग नियम व कानून नहीं होने चाहिए। यदि विधुर पुरुष शादी कर सकता है तो विधवा महिला क्यों नहीं? महिलायें अब हर क्षेत्र में पुरुषों के समानान्तर दौड़ में चल रही हैं।
6 प्रश्न - समाज में अनेक संगठन कार्य कर रहे हैं। उन में आपस में खींचतान बनी रहती है। आप कैसे सामन्जस्य स्थापित करना चाहेंगे ?
उत्तर- अखिल भारतीय स्तर पर चार संगठन है। सभी को समाप्त करना सम्भव नहीं। सबको मिलजुल कर सहयोग से कार्य करना चाहिए। वर्चस्व के लिए लड़ना ठीक नहीं। दूसरे संगठन मुझे बलाते हैं तो मैं उसमें शामिल होता हूँ। 'अखिल भारतीय साहू वैश्य महासभा ने मुझे बुलाया, मैंने भाग लिया। सभी के सभी संगठनों के कार्यक्रमों में हमें भाग लेना चाहिए।
7 प्रश्न - आप द्वारा स्थापित उत्तर प्रदेश साहू राठौर चेतना समिति की प्रगति से क्या आप सन्तुष्ट हैं?
उत्तर - हाँ, मैं संतुष्ट हूँ। इनमें और क्रिया-शीलता लाने का प्रयास कर रहा हूँ। दिनांक 27-28 दिसम्बर 2008का आयाजित सम्मलन इसा क्रमम एक कदमहाइस चतना का जन-जन तक पहुचाना चाहता हू।
8 प्रश्न - आप ने पूरे देश का भ्रमण किया है। अन्य प्रदेशों में क्या स्थिति है?
उत्तर- हर प्रदेश में सामान्यतया लोग गरीब हैं। सभी प्रदेशों में एक सी स्थिति लगती है। गुजरात में स्थिति कुछ सामान्य से बेहतर है।
9 प्रश्न- समाज की अभी तक जो विशाल रैलियाँ आयोजित की गई थीं, क्या उनका उद्देश्य पूरा हुआ?
उत्तर - हाँ इन रैलियों का उद्देश्य बिल्कुल पूरा हुआ। वर्ष 1994 में विक्टोरिया पार्क में आयोजित रैली से समाज को पहली बार एक पहचान मिली।
10प्रश्न- आठवें राष्ट्रीय सम्मेलन की व्यवस्था में अधिक पैसा खर्च होगा। कैसे व्यवस्था करेंगे?
उत्तर- पूरे प्रदेश एवं बाहर से भी सहयोग प्राप्त किया जा रहा है। जो कम पड़ेगा उसे हम सभी परिवार वाले पूरा करेगे।
11 प्रश्न- उम्र के इस पड़ाव पर भी आप इतना अधिक परिश्रम करते हैं। स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस सम्बन्ध में आप क्या सोचते हैं?
उत्तर - नहीं। मैं ऐसा नहीं सोचता। नियमित जीवन पर कार्य की अधिकता का प्रतिकूल प्रभाव मुझे बिल्कुल नहीं प्रतीत होता। सुबह दिल्ली से वापस आने के बाद में नियत समय 9बजे अपने कार्यालय में बैठ जाता हैं।
12 प्रश्न - आप से पहले भी कई महानुभाव तथा संगठन समाज सेवा के कार्य में लगे रहे। क्या अब आप उन्हीं के द्वारा किए गये कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं?
उत्तर - यह सही है | मैं उसी कार्य को आधुनिक शैली में कर रहा हूँ।
13प्रश्न- समाज में अन्तर्जातीय विवाहों के सम्बन्ध में आपके क्या विचार हैं?
उत्तर- अन्तर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इससे सामाजिक समरसता बढ़ती है तथा अन्तर्जातीय सहृद्यता स्थापित होती है।
14 प्रश्न- आप ने बड़े परिश्रम से सामाजिक सेवा का ढांचा खड़ा किया है। क्या आप ने सोचा है कि आप के बाद इसे कौन सम्भालेगा?
उत्तर - जीवन का पहिया कभी रुकता नहीं। 'जवाहरलाल जी के बाद' -इन्दिरा जी के बाद उस समय भी ये प्रश्न थे। समाज का कारवौं भी बढ़ता रहेगा अधिक सोचने की आवश्यकता नहीं।
15 प्रश्न - व्यावसायिक तथा राजनीतिक व्यस्तता के साथ-साथ आप ने किस प्रकार अपने बच्चों को आई०ए०एस० एव डाक्टर बनाने में सफलता प्राप्त का?
उत्तर - मेरे परिवार का पारिवारिक ताल मेल ठीक है | चारों परिवार आपसी समझदारी से मिलजुल कर रहते हैं। मैं स्वयं आने बड़े होने का दायित्व निभाता हूँ। बच्चों में अच्छे संस्कार डालने का प्रयास किया। 'अखण्ड ज्योति', 'युग निर्माण योजना' तथा जीवन संचेतना का मैं आजीवन सदस्य हूँ। सुबह आस्था चैनल या भजनों के साथ आँख खुलती है। समाचार बाद में सुनता हूँ। हम पति-पत्नी शुद्ध शाकाहारी हैं। सम्यक आचरण का बच्चों पर निश्चित रूप से अच्छा प्रभाव पड़ता है।