स्नेही शिवशंकर गुप्ता - इन्दिरा नगर लखनऊ
जैसा कि पूर्व विदित है कि राजनीति में अपने अधिकारों को प्राप्त करने हेतु एक राष्ट्रीय स्तर पर महासम्मेलन जून 2000 को गांधी मेमोरियल हाल, बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली में किया गया था जिसमें माननीय श्री राम नरायन साहू को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। जिसके परिणाम स्वरूप वे स्वजातीय सेवा, कड़ी मेहनत, दूर दृष्टि के कारण राज्य सभा तक पहुँच गये जिस पर हमारे समाज को गर्व है।
वर्तमान परिवेश में हम अपनी जाति को अपनों से ही छिपा रहे हैं, एक मोहल्ले में रहते हुये भी हम एक दूसरे से अपरिचित हैं। अपना समाज देश में विभिन्न उपनामों से अपनी पहचान बनाये हुये है जैसे साहू, राठौर गुप्ता, मथुरिया, परनामी, प्रसाद, मोदी, गांधी, पंचोली, बरोना, कारवाल, भाटी, घांची आदि लेकिन आपको समाज में अपनी पहचान तेली शब्द का प्रयोग करने वाला शायद ही कोई बिरला मिले । तेली शब्द से हम अपने मन में ही हीन भावना महसूस करते हैं आखिर ऐसा क्यों? यह एक आश्चर्य एवं शर्म का विषय है। हमें समाज में खुलकर आना होगा तभी हमारी शक्ति की पहचान होगी।
हम किसी से कम नहीं हैं। हमारे समाज में आई०ए०एस०, पी०सी०एस०, इन्जीनियर, डॉक्टर, एम०बी०ए०. बी-टेक, वैज्ञानिक, डिग्री धारक बड़ी तादात में युवक-युवतियां अपनी प्रतिभा से समाज का नाम रोशन कर रहे हैं एवं देश की प्रगति में योगदान कर रहे हैं। इस प्रकार अब हमारे बच्चे किसी भी अन्य जाति के बच्चों से कम नहीं है।
हमारे सामने सबसे ज्यादा परेशानी तब आती है जब हमारे बच्चे शादी योग्य हो जाते हैं एवं तब हमें अपनी पहचान बताने को विवश होना पड़ता है। आज के वैज्ञानिक युग में कोई भी काम असम्भव नहीं है। एक शहर में बैठ कर इन्टरनेट द्वारा सम्पूर्ण भारत में स्वजातीय बच्चों का फोटोग्राफ, बायोडाटा, पारिवारिक विवरण आदि श्रृंखलाबद्ध देखा जा सकता है। इंटरनेट के माध्यम से आर्थिक एवं समय की भी बचत होती है तथा अपनी इच्छानुसार अनेक रिश्ते मिल जाते हैं। शादी विवाह अपनी आय, रहन-सहन का स्तर, भाषा, संस्कृति आदि के अनुसार ही करना चाहिए ताकि रिश्तों में कभी दरार न आये एवं टिकाऊ रहे। यदि अल्प आय, मध्यम आय एवं उच्च आय वर्ग के लोग अपने-अपने वर्ग, श्रेणी में शादी विवाह करते हैं तो कभी भी रिश्तों में कड़वाहट नहीं आयेगी एवं प्रेम व्यवहार सदैव बना रहेगा।
इंटरनेट पर अपने समाज के लिये एक साइट जुलाई 2008 में लांच की गई है जिसका सभी स्वजातीय बन्धु लाभ ले सकते हैं एवं इस माध्यम से अनेकों शदियां हो चुकी हैं।
समाज में किन्हीं कारणों से उ०प्र० के अनेकों जिलों में अधिक उम्र के लड़के, लड़कियां अविवाहित हैं। अधिकांशतः दहेज की बात करते हैं जिसका निवारण पढ़े-लिखे, शिक्षित लड़कों, आत्मनिर्भर, चरित्रवान, प्राइवेट नौकरी, छोटा व्यापार, टेक्निकल हैंड युवक/युवतियों से शादी करने पर किया जा सकता है।