सामाजिक सोच को मूर्त रूप देने में लगे युवाओं की सोच को प्रमुखता के साथ रखते हुए धनराज साहू ने बहुत ही कम समय में अपने आप को स्थापित किया। यह उनकी मेहनत एवं लगन से संभव हो पाया। बचपन से ही पिताजी से प्रेरणा लेते हुए समाज एवं क्षेत्र में विकास हेतु अपना योगदान दे रहे है।
स्कूली पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहे, स्कूल में में टॉपर के नाम से जाते थे। समाज की ओर से बाल प्रतिभा के लिए आपको सम्मानित भी किया गया। बावजी की प्रेरणा से साहित्य के क्षेत्र में शुरू से काफी रूचि रही। कक्षा आठवीं में सांस्कृतिक सचिव की जिम्मेदारी निभाई। खेलकूद एवं पेटिंग्स में जिला स्तरीय कार्यक्रमों में बागवाहरा विकासखण्ड की ओर से भाग लिए। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान साहित्यिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे। मंच संलालन का दायित्व स्कूली जीवन से करने का शौक रहा है। कुशलता के साथ मंच संचालन का काम को निभाया। अभी वर्तमान में कवि सम्मेलनों में युवा कवि के तौर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में भाग लेकर अपनी प्रतिभा से सबको परिचय करा रहे है।
लोककला के क्षेत्र में योगदान:
श्री साहू ने चर्चा में बताया कि, लोककला के क्षेत्र में आपकी भागीदारी हमेशा रही है। सन् 1980 से स्थापित तुलसीदल लोककला मंच का संचालन सन् 2006 से अपने कुशल नेतृत्व में कर रहे है। कार्यक्रमों की प्रस्तुति क्षेत्र के अलावा छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में दे चुके है। सन् 2015 में छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय न्यूज चैनल IBC24 की ओर से मोर माटी के नाचा का प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें भाग लेकर तुलसीदल लोककला मंच के द्वारा स्वर्णीम प्रस्तुति दी गई। लोककला के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास किया जाता रहा है। अभी वर्तमान में गायिका गरिमा दिवाकर के द्वारा आपके बाबूजी के लोकगीतों की संग्रह को जनमानस तक पहुंचाने, आकाशवाणी केन्द्र एवं सी.डी. के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है।
सामाजिक दायित्वों का निर्वहन:
साहित्य के साथ समाज सेवा के क्षेत्र में आपकी काफी रूचि रही है। समाज के सर्वागीण विकास में निरंतर कार्य करते आ रहे है। सन् 2007 से सक्रिय सामाजिक सदस्य के तौर पर सामाजिक बैंठकों में आना जाना शुरू किया। सन् 2007 में प्रथम बार राजिम जयंती महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया जिसमें भाग लेने के लिए. बागबाहरा क्षेत्र से लोंगो काफी प्रेरित किया गया। उसी वर्ष से बागबाहरा में अनवरत् राजिम महोत्सव का आयोजन अपने रचनात्मक कार्यों की वजह से पूरे प्रदेश में अलग पहचान बनाई। अभी वर्तमान में आपके द्वारा अध्यक्ष नगर साहू समाज बागबाहरा के दायित्व का निर्वहन आपसी सामंजस्य स्थापित करके कर रहे हैं। सामाजिक विकास की सोच का सभी लोग प्रशंसा करते है। 120 ग्रामों के संगठन सुरमाल परिक्षेत्र का युवा अध्यक्ष के रूप में अपना योगदान दिए। साथ ही पूर्ण शराबबंदी के लिए प्रोगेसिव बागबाहरा के संस्थापक के तौर पर अभी कार्य कर रहे हैं। श्री साहू ने बताया कि, बाबूजी की प्रेरणा से समाज सेवा के क्षेत्र में जुड़कर योगदान देने का प्रयास कर रहा हूँ। समाज सेवा के क्षेत्र में निरंतर भागीदारी की हमेशा कोशिश रही हैं।
सामाजिक रचनात्मक कार्य:
सामाजिक रचनात्मक कार्य के अंतर्गत बागबाहरा में राजिम महोत्सव जयंती पर में भव्य सामूहिक आदर्श का आयोजन आपके कुशल नेतृत्व में किया गया। प्रदेश भर से सामाजिक प्रतिभावान बालक-बालिकाओं को इस मंच के माध्यम से सम्मानित करने का कार्य किया गया। इसके साथ ही रक्तदान शिविर का आयोजन समय-समय पर करते रहते है। महिला सम्मेलन के माध्यमों से समाज की महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में हमेशा प्रयास किया जाता है। महिला सम्मेलन का यह आयोजन पूर्णरूप से समाज के महिलाओं के लिए समर्पित रहता है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि से लेकर मंच संचालन का प्रभार महिलाओं के हाथ में दिया जाता है। सम्मेलन में बालिकाओं व महिलाओं का सम्मान किया जाता है। संपन्न हुए कार्यक्रम डॉ. पीयूषी साव, एस.आई. (रेलवे) सुश्री तरूणा साहू, कुमारी सानिया साहू व कुमारी पूजा साहू रामायणी सहित अन्य प्रतिभाओं को सम्मान किया गया। रायपुर की सानिया साहू के ईलाज के लिए सूरमाल परिक्षेत्र के द्वारा लगभग 1.50 लाख का सहयोग किया गया। ताकि बिटिया सानिया जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो सके। ऑर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से वृक्षारोपण कार्य, स्वच्छता अभियान के साथ रक्तदान शिविर सहित विभिन्न जनहित से जुड़े सामाजिक कार्यों में बराबर सहभागिता दे रहे है। पिताजी स्व. महेत्तर राम साहू की स्मृति में प्रदेश स्तरीय सुरता कार्यक्रम का आयोजन संचालित किया जाता है। इस आयोजन के माध्यम से नवोदित कलाकारों को सम्मानित किया जाता है।
समाज सेवा के लिए सोच:
सामाजिक समरसता स्थापित करने की सोच के साथ कार्य करने की योजना बनाई। सभी लोगो को आपस में जोड़कर सहयोग की भावना जगाने का प्रयास किया जा रहा हैं। सद्गुरू कबीर साहेब व बाबा गुरुघासीदास के जीवन से काफी प्रभावित है। इन महापुरुषों के जीवनी से सीख लेते सामाजिक एकरूपता के दिशा में व्यापक काम करने की जरूरत महसूस होती है। सामाजिक विकास की सोच को मूर्त रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। मैं आज की युवा पीढ़ी से आग्रह करना चाहूँगा कि सभी मिलजुलकर कार्य करते हुए सकारात्मक सुधार की दिशा में प्रयास करे। शिक्षा का अलख घर-घर जगाकर स्वच्छ एवं संगठित समाज की संकल्पना को अत्यधिक मजबूती प्रदान कर सके। इस पुनित कार्य में अपनी सहयोग अवश्य रूप से देकर समाज के नवनिर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन करे।
जीवन का आदर्श:
अध्यात्मिक विचारों के प्रति शुरू से ही रूझान रहा है। पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी को अपना आदर्श मानते हुए उनके बतायें सीखों को जीवन में अपनाने का प्रयास करता हूँ। पिताजी को अपनी प्रेरणाश्रोत मानता हूँ जिनकी सीख से ही जीवन में कुछ करने की ललक बनी। सामाजिक विकास की सोच के साथ के कार्य करने की संकल्प जागृत हुआ।