स्व. साहूराम साहू जी ग्राम-देवरी (बागबाहरा) समाज के कुरहा सयानों में अग्रगण्य थे। उनके घर 02.02.39 को पुत्र रत्न की स्व. प्राप्ति हुई। उस समय उनकी शिक्षा-दीक्षा गांव में ही हुई वे नवमी तक की पढ़ाई पूरी किए। जैसे-जैसे वे बढ़ते गए, घर के वातावरण औ पिताजी के दिनचर्या से प्रभावित होकर उन्ही के नक्शे कदम पर सामाजिक आयोजनों बैठकों में सम्मिलित होते गए वही से उन्हें समाज सेवा की प्रेरणा मिली। देवरी जनपद के जनपद सदस्य चने। साथ ही वे सरपंच भी चने गए। इस तरह उनका जीवन सामाजिक और राजनीतिक सेवा में ही बीता। उनके कार्यशैली से प्रभावित हो क्षेत्र के सामाजिक संगठन नेमीचंद श्रीश्रीमाल फाउडेशन ने सन् 1990 में आचलिक प्रतिभा का सम्मान दिया। जिसमें उन्हें रजत शिल्ड एवं 25,000/- नगद सम्मान राशि दिया गया। सन् 1966 से 70 के मध्य वे सुरमाल परिक्षेत्र के अध्यक्ष चुने गए। इसी समय साहू समाज का आदर्श विवाह संबंधी स्वर्णिण इतिहास का समय आया। इन्ही के टीम ने पूरे विश्व में प्रथम बार सामूहिक आदर्श विवाह जैसे अविष्मरणीय और अतुलनीय कार्य को अंजाम दिया। सन् 1975 में सुरमाल परिक्षेत्र के अंतर्गत ग्राम मुनगासेर (बाग.) 27 जोड़े वर-वधुओं के विवाह जैसे पवित्र बंधन का साकी बना। जिस समय लोग रोटी-बेटी और कई विसंगतियों से जूझ रहे थे, उस समय नव चेतना के रूप में यह भगीरथ प्रयास सुमाल ही नहीं अपितु पूरे क्षेत्र के लिए चमत्कार से कम नहीं था।