बैतूल: आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के क्षेत्र में अपने अनुकरणीय योगदान के लिए शिक्षिका श्रीमती पुष्पा साहू फुलवार को युवा साहू समाज सेवा संगठन द्वारा सम्मानित किया जाएगा। उनकी समर्पित शिक्षण शैली और बच्चों के प्रति अटूट लगन ने न केवल शिक्षा के स्तर को ऊंचा किया, बल्कि कई आदिवासी बच्चों के जीवन को नई दिशा प्रदान की है। श्रीमती पुष्पा साहू ने अपने शिक्षण कार्य के माध्यम से यह साबित किया है कि सच्ची मेहनत और प्रेरणा से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
श्रीमती पुष्पा साहू ने वर्ष 2013 में एक निजी स्कूल से अपने शिक्षण करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने संविदा शिक्षक के रूप में कार्य शुरू किया और फिर शासकीय शिक्षक के रूप में बच्चों को मार्गदर्शन देना शुरू किया। उनकी मेहनत और समर्पण का परिणाम यह रहा कि उनके द्वारा पढ़ाए गए कक्षा तीसरी के कई बच्चे नीट परीक्षा में सफल होकर आज शाहपुर और अन्य स्थानों पर डाकघरों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा, उनके कई शिष्य बैतूल और अन्य शासकीय महाविद्यालयों में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं, जबकि कुछ देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च पदों पर कार्य कर रहे हैं और लाखों रुपये का वेतन कमा रहे हैं।
आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति को सुधारने में श्रीमती पुष्पा साहू ने जो योगदान दिया, वह वास्तव में प्रेरणादायी है। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में बच्चे हिंदी भाषा बोलने में कठिनाई महसूस करते थे। भाषा की इस बाधा को दूर करने के लिए उन्होंने बच्चों के बीच रहकर उनकी स्थानीय भाषा को समझा और उसे आधार बनाकर पढ़ाना शुरू किया। इस अनूठी शिक्षण पद्धति ने बच्चों को न केवल हिंदी सिखाई, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाया। श्रीमती साहू का मानना है कि बच्चों को अपने अध्ययनकाल में पूरी तरह पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, ताकि वे जीवन में निरंतर प्रगति कर सकें।
चकोरा प्रभात पट्टन के स्कूल में बच्चों की अनियमित उपस्थिति एक बड़ी चुनौती थी। यह क्षेत्र पलायन-प्रधान होने के कारण बच्चों के माता-पिता कटाई के मौसम में हरदा और अन्य स्थानों पर काम करने चले जाते थे, जिससे बच्चे अकेले रह जाते और स्कूल आने में रुचि नहीं दिखाते थे। इस समस्या का समाधान करने के लिए श्रीमती पुष्पा साहू ने अपने निजी वेतन से बच्चों को चॉकलेट, पेन, पेंसिल और स्कूल बैग जैसे प्रोत्साहन सामग्री वितरित की। उनकी यह पहल रंग लाई और बच्चे नियमित रूप से स्कूल आने लगे। उनकी इस अनुकरणीय पहल ने न केवल बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित किया, बल्कि पूरे समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाने में भी योगदान दिया।
युवा साहू समाज सेवा संगठन ने श्रीमती पुष्पा साहू के इस अतुलनीय योगदान को पहचाना और उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया। यह सम्मान समारोह न केवल उनके कार्यों की सराहना करेगा, बल्कि अन्य शिक्षकों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा। श्रीमती पुष्पा साहू की कहानी यह दर्शाती है कि शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है, बशर्ते उसमें सच्ची लगन और समर्पण हो।