मित्रों, जिस तेली जाति में..जिस वैश्य वर्ण व समाज में हमारा जन्म हुआ है ! वह जाति..वह वर्ण परम पवित्र और अत्यंत श्रेष्ठ है !
हमारे पूर्वजों ने उस समय तिल और तिलहन की खोज की थी, तिल से तेल निकाला और सारे संसार को प्रकाश से जगमग किया था..जब सारा संसार गहन अंधकार में डुबा हुआ था, जब रात में रौशनी के लिए कोई साधन नहीं था.! हमारे महान् पर्वजों ने कोल्हू नामक यंत्र का आविष्कार किया था, जब संसार में किसी वैज्ञानिक संसाधन उपलब्ध नहीं थे..! ऐसे वैज्ञानिक पूर्वजों के प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए !
प्राचीन काल में हमारी इस पवित्र जाति में अनेक संतों, भक्तों, वीरों, दानियों, सतियों और समाज सेवकों तथा महान् विभूतियों ने जन्म लिया है, जिनमें महाभारत काल के महात्मा तुलाधार, दुर्गा सप्तशती में वर्णित समाधि वैश्य, स्कन्दपुराण के..सत्यनारायण कथा के महान् पात्र साधु वैश्य, हठ योग के प्रणेता गुरुगोरक्षनाथ, कर्मा बाई साहू ने, राजिम तेलिन भक्तिन ने, दानवीर भामाशाह आदि हैं, जिन्होंने समाज के समक्ष श्रेष्ठ आदर्श रखा और सामाजिक परिवर्तन का कार्य सम्पन्न किया था ! आज पुनः हमें अपनी तेली जाति को जगाने की आवश्यकता आन पड़ी है !
इन दिनों हमारा समाज राजनितिक कुचक्र में फंसकर कई टुकड़ों और कई खेमों में बँट गया है ! आज गरीबी और अमीरी की खाई गहरी होती जा रही है ! समाज की प्रतिभाओं का पलायन हो रहा है ! हमारे बहुतायत युवा बेकार हैं ! हमारी शिक्षित और सुयोग्य बेटियां कुंवारी बैठी हैं ! हमारे गरीब स्वजातीय बंधु समाज के ठेकेदारों एवं तथाकथित नेताओं द्वारा प्रताड़ित और उपेक्षित होकर ईसाई धर्म अपना रहे हैं !
इधर हम अन्य समाज को रोजगार देने के लिए मंदिर और आश्रम बना रहे हैं ! तथाकथित विशिष्ट और अभिजात्य वर्ग को सम्पन्न बनाने के लिए अपना श्रम, अपनी विद्या और विभूतियों को दान कर रहे हैं ! किन्तु हमारे लोग गरीब हैं, बेरोजगार हैं, उनके लिए हमारे पास कोई योजना नहीं है, कोई विकल्प नहीं है ! यद्यपि हमारे पास धन की कमी नहीं है, किन्तु उस धन का हम वहां उपयोग कर रहे हैं, जहाँ अन्य लोग तो अमीर बनते हैं, मगर हमारी जाति के लोग मजदूर बने रह जाते हैं ! हमारा अपना राष्ट्रीय स्तर का कोई शिक्षा या तकनीकी संस्थान नहीं है, चिकित्सा संस्थान नहीं है, कोई फैक्टरी या बड़ा उद्योग अथवा कारोबार नहीं है ! हम सिर्फ बॉस से सामने जी हुजूरी करते हैं या फिर लेबर का काम करते हैं ! हमारे कुछ लोग समाज सेवा के नाम पर राजनीति करने में लगे हुए हैं
समाज के उद्धार और उत्थान के लिए जिन सामाजिक संगठनों की स्थापना की गयी थीं, वो आज लक्ष्य विहीन हो गये हैं ! दुःखद बात यह है कि हमारे वे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सामाजिक संगठन वंश परंपरा पर आधारित हैं, उनका संचालन व नेतृत्व वे लोग कर रहे हैं, जिन्हें समाज से कोई विशेष सरोकार नहीं है, उन्हें सिर्फ राजनीतिक लाभ चाहिए ! संगठन चंद लोगों की बपौती बना हुआ है ! हमारे सामाजिक नेतृत्वकर्ता वर्तमान में समाज की समस्याओं से या तो अनभिज्ञ हैं अथवा उन्हें समाधान करना नहीं आता है , जो भी हो, किन्तु नेतृत्व के अभाव में तेली समाज पीड़ित तो है ही ! साथियों, नेतृत्व का संकट हमारे समाज के लिए बहुत दुःखद है, भारी पीड़ादायक है ! इन परिस्थितियों में विचारशील साथियों का विचलित और चिंतित होना स्वाभाविक है ! उपरोक्त वर्णित समस्याओं पर चर्चा करने और उपयुक्त समाधान निकालने के लिए तैलिक मित्र सेवा संघ.. भारत ने अभियान जारी रखा हुआ है !
यदि आप मंच, माला, माईक, मान और मुद्रा के बिना समाज सेवा करना चाहते हैं, तेली समाज के उत्थान के लिए जमीनी स्तर पर कुछ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, समर्पित हैं, इच्छुक हैं, तो आप अवश्य ही हमारे सामाजिक ग्रुप "तैलिक मित्र सेवा संघ" में अपना वैचारिक और भावनात्मक योगदान करें !
उज्जैन की गोष्ठी में शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक उन्नति और सामाजिक एकता के सन्दर्भ में गहन विचार मंथन किया गया है और कार्ययोजना बनाकर उसे विधिवत प्रारम्भ किया जा रहा है !
मित्रों, तेली समाज को उन्नत करना..तेली समाज का उत्थान करना हम सबका सामाजिक दायित्व है ! आइये हम सभी इस सामाजिक अनुष्ठान में भागीदार बनें !