संत संताजी जगनाडे महाराज का जन्म सन 1625 में महाराष्ट्र के पुना (चाकण) में हुआ था । उनके नाना का नाम भिवा जगनाडे पिता का नाम विठोबा जगनाडे और माता का नाम मथुबाई था । और उनका परिवार महान विठ्ठल भक्त था । उनके पिताजीने उन्हे घर मै ही पढाई लिखाई की शिक्षा दि । 12 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया था । वे पैत्रिक तेल का व्यवसाय करने लगे, किन्तु एक दिन उन्होने संत तुकाराम का किर्तन सुना और उनके शिष्य हो गये । संत तुकाराम जो अभंग आपने किर्तन मै सुनाते उसे बाद मै संत संताजी जगनाडे लिपिबध्द करते थै । ब्राम्हण वर्ग संत तुकाराम जी और संत संताजी महाराज जगनाडे से द्वेष रखते थे । संत तुकाराम ने संत संताजी को आपना प्रमुख शिष्य बनाया था । ब्राह्मण वर्ग संत तुकाराम की भक्ति गीतों से द्वेष रखता था और उनके सभी कृतियों को इंद्रायणी नदी मैं डुबा दिया । संत संताजी जगनाडे जी ने तुकाराम जी के अभंग गाथा को पुन: लपिबद्ध किया, जो आज भी जन - जन में लोकप्रिय है ।