चोलवंशी शासन काल में तमिलनाडू राज्य में नवयुवक कोवालन ने अप्सरा के समान सुन्दरी कण्णगी से शादी की थी । यह सुखी एवं वैभवपुर्ण व्यापारिक तेली परिवार था । इसी मध्य कोवालन राजनर्तकी माधवी पर मोहित हो गया और अपना सभी धन संपत्ती न्यौछावर किया । मोहपास भंग होने पर पुन: कण्णगी के पास आया । पारिवारिक व्यवस्था के लिए रत्नजडित पायल बेचते समय चोरी का मिथ्या लाछन लगाकर राजज्ञा से धड अलग कया गया । कण्णगी ने तब राज्य सभा मै आपने पतीपर लगा चोरी का आरोप झुटा साबीत किया । उसके बाद सती कण्णगी ने पुरे नगर को भस्म करणे का शााप दिया और वह वहा से चली गई, इस के बाद पूरा नगर अग्नी मे भस्म हो गया । इसका उल्लेख तमिल भाषा के प्रसिद्ध ग्रंथ यिल्लापद्दी ग्राम में मिलता है । यह लोक कथा दक्षिण भारत में प्रचलित है । इस कथानक पर फिल्म बनये गये है । तथा संपूर्ण भारत में प्रसारित है ।