गर्व हमें है, हम है तेली
निज गौरव, स्वाभिमान हैं,
सरल सौम्य, योद्धा भी जन्मे
पावन एक पहचान हैं ।
कांतिहीन सा चेहरा छोडो
हेमूशाह फौलाद हो,
मॉ कर्मा के, आंख का तारा
राजिम मॉ की औलाद हो ।
झांको तो इतिहास तुम्हारा
कैसा स्वर्णिम राज था,
नीति धर्म के तुम संरक्षक
साहूकारी का काज था ।
तुम हो पुरोधी, वैश्य कर्म का
तेल, इत्र निर्माता हो,
श्रमशीलता का हो उदाहरण
स्वयं भाग्यविधाता हो ।
जहा बात हो राष्ट्रधर्म का
देश-भक्त, स्वाभिमानी हो
राणा के हो, शौर्य रक्षक
अमर (भामा) बलिदानी हो ।
राजा भोज को प्राण दान दे
कृष्ण देव बन अमर हुए
आल्हा उदल के वीर सेनानी
धनुवा तेली कहर किये ।
ज्ञान प्रकाश का पूंज्य बनकर
नालंदा की नींव गढे
अखिल विश्व में बौद्ध धर्म का
लेकर झंडा आगे बढे ।
धर्मात्मा थे, वैश्य तुलाधर
गर्व जाजलि का तोडा,
संत तुका के प्रिय संताजी
बिखरे अभंगो को जोडा ।
उनकी महिमा मैं क्या गांऊ
जो गुरू गोरखनाथ हुए
महायोगी, ब्रम्हचारी बनकर
नाथों के जो नाथ हुए ।
आआ तुमको और बता दूं
क्या थे तेली आज तुम्हे
सोये हैं, स्वाभिमान भूलकर
नही है, गौरवगान जिन्हें ।
मॉ कर्मा की अमर कहानी
किसे नही है, ज्ञात भला
प्रेम स्नेह, वात्सल्य भाव के
बीच क्या आया जात भला ।
शुद्र समझ जिनकों थे भगाया
मद में चुर अज्ञानी थे
खिचडी खाने दौडे प्रभु जी
वो जगन्नाथ जी स्वामी थे
धन्य - धन माँ कर्मा जिनके
प्रेम की आखिर जीत हुई,
श्रद्धा और समर्पण जीता
निसे प्रभु प्रीत हुई ।
कमल क्षेत्र, पद्मावती पुरी
स्वयं नारायण वास जहां
राजिम तेली माता जन्मीं
उनसा भक्तिन और कहॉ ।
जिनके क्षेत्र, पद्मावती पुरी
स्वयं नारायण वास जहां
राजिम तेली माता जन्मीं
उनसा भक्ति और कहॉ ।
जिनके भक्ति के प्रभाव से
राजिम नगरी धाम बना
नारायण के नाम के पहले
मॉ राजिम का नाम लगा ।
अब तो चिंतन करना होगा
स्वाभिमान को जगाना है
खोये गौरव गरिमा फिर से
घर-घर फिर, लौटाना है ।
हम है भारत मॉ के बेटे
कर्मा के संतान है
मॉ राजिम के, कोख में जन्में
भामा के पहचान हैं ।