इतिहास एवं साहित्यकार ओमली ने लिखा है कि नालंदा के बौद्ध के बडे प्रवेश द्वार का निर्माण तैलाधक वंश ( तेली समाज वंश ) के धनी व्यक्तियों मे प्रमुख श्री. नरसिंह गुप्त बालदित्य ने कराया था । तेलबाडा (नालंदा) निवासी श्री बालादित्य गुप्त वंश के थै चीनी यात्री व्हेनसांग ने अपने यात्रा वृत्तांत मै उल्लेख किया है । इसके निर्माण के अवशेष उत्खनन में भी प्राप्त हुए है । या पूर्व ही सिद्ध है कि गुप्त सम्राट तेली जाती (गुप्त) के ही थे । प्रसिद्ध सम्राट पुरगुप्त के पुत्र भी नरसिंह गुप्त बालदित्य थे । वे ज्ञानी एवं उदार व्यक्ति थे । गुप्तों का शासन क्षेत्र मगध ही रहा है । यद्यपि वे हिंदु शासक थे किन्तु उन्होंने बौद्ध धर्म की उन्नति के लिए गुप्त शासन से राजकीय सहायता, अनुदान प्रदान किये थे ।