उड़ीसा राज्य के अंगुल जिला के पंमहला गांव के किसान मजदूर पविार में नेपालचंद साहू का जन्म मई 1926 में हुआ ये कृषि मजदूरी एवं भेडबकरी चराने का भी काम करते थै ।वे गिरी शिखर जंगल में प्रतिदिन जाया करते थे । बारह वर्ष की उम्र में वहां जनावर चराते हुए एक बार उसे जोर से बुखार आ गया । इसी मध्य एक श्वेतवस्त्र धारी बुढे बाबा ने कहा कि मेरे साथ आओं में तुम्हे वह वृक्ष दिखाता हूं जिसकी पत्ती को तुम जिस पिडित व्यक्ति को दे दोगे उसके सेन से उसकी सभी प्रकार की बिमारी दुर हो जायगे । तब से किसी भी रोग से ग्रसित व्यक्ति को वही पूर्ण देता, पिलाता पे रोगमुक्त होने लगे । जंगल में आग की तरह नेपालचंद्र का प्रभाव फैल गया । लोग उन्हें नेपाली बाबा वैद्यराज कहने लगे । जिला से राज्य से सम्पूर्ण भारत में वैद्यराज नेपाल चंद्र साहू प्रसिद्ध हो गए । भीड के कारण अब एक व्यक्ति उन्हे कंधे में बिठाकर तेज गति से दौडता था सामने कतारबद्ध लोग खडे रहते । वह अपनी बुठी पत्ती चूर्ण देता था अस्वच्द एवं दूषित वातावरण के कारण हो गया । अन्तत: हैजा हो गया । तब अंग्रेजो ने बलपूर्वक रोक दिया । दोनो वृक्षों को देखा किन्तु अब उनमें कई - कई सर्प लटके हुए, घुम रहे थे । वापस आ गये । सब कुछ शांत हो गया । (वैद्यराज नेपालचंद्र साहू पर शोधपूर्ण सामग्री की भी आवश्यकता है)
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