ॐ जय कर्मा माता - मय्या जय कर्मा माता ।
भक्ति मार्ग - दिखलाती - ज्ञान मयी माता ॥
ॐ जय कर्मा माता
आप अनोखी भक्ता - दिव्य देह धारी ।
दाऊ कृष्ण सुभद्रा - सबकी ही प्यारी ॥
मय्या सबकी ही प्यारी
एक बार जब मेरी मय्या को - दर्शन से रोका ।
स्वयं मूर्ती उठकर आई - जन जन था चौक ॥
मय्या जन जन था चौका
भरा थाल खिचडी का मय्या - प्रभु की और धरा ।
प्रगटे श्री नारायण मय्या - भोजन पान करा ॥
मय्या भोजन पान करा
माँगी क्षमा पुरी वासी ने - सबने धन्य कहा ।
तब से भोग लगे खिचडी का - मंदिर पुरी जहा ॥
मय्या मंदिर पुरी जहा
हम सब बालक आपके मय्या - आप है जग माता ।
दिव्य ज्ञान की ज्योति जला दो - सुख दाता ॥
मय्या सुख दाता
जो कर्मा मय्या की आरती - नित दिन ही गाता ।
रामचंन्द्र का कहना निशिचत - दिव्य ज्ञान पाता ॥
मय्या दिव्य ज्ञान पाता
ॐ जय कर्मा माता - मय्या जय कर्मा माता ।
भक्ति मार्ग दिखलाती - ज्ञान मयी माता ॥
ॐ जय कर्मा माता ं