छत्तीसगढ़ की विधानसभा जिस तरह से नजदीक आ रही है उसी प्रकार से जातीय और सामाजिक समीकरण बनाए जा रहे हैं । इस जातीय समीकरण में सबसे ज्यादा साहू तेली समाज का महत्व है । साहू तेली समाज ने इस विधानसभा के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख पार्टियों से कल रात से लेकर 18 तक सीट देने की मांग की है । पिछले लगभग हर चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने साहू समाज को संख्या अनुरूप टिकट दिए हैं । हर विधानसभा में साहू समाज से 8 से लेकर 12 साहू विधायक विधानसभा में पहुंच चुके हैं ।
पिछले विधानसभा में 9 साहू तेली विधायकों ने विधानसभा में दस्तक दी थी । कांग्रेस के उम्मीदवार जीते तो भाजपा की ओर से 5 उम्मीदवार जीते । छत्तीसगढ़ के राजनीतिक विश्लेषकों की माने प्रदेश की 37 विधानसभा में साहू वोटर बहुत ही ज्यादा प्रभावी है । यहां पर हारी हुई बाजी साहू वोटर कितने बदल सकता है तू जीती हुई बाजी को हाथ में तब्दील करना उसी के हाथ में है । इसीलिए भाजपा और कांग्रेस के सभी बड़े नेता यह कोशिश कर रहे हैं कि बस्तर से लेकर सुरगुजा साहू वोटरों को साधके अपनी पार्टी को जीत की ओर ले जाए । तो भाजपा की ओर से साहू समाज के वजनदार नेताओं को सरकार में वजनदार विभाग देकर साधने की कोशिश की जा रही है ।
सरकार में रामशिला साहू को मंत्री बनाया गया तो पिछली सरकार में चंद्रशेखर साहू मंत्री थे । निगम-मंडल और आयोग से लेकर संसदीय सचिव बनाने में भी समाज के नेताओं की भाजपा ने अनदेखी नहीं की। कांग्रेस ने भी ताम्रध्वज साहू से लेकर अधिकांश बड़े नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है। चुनाव से पहले कांग्रेस की कोशिश है कि साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष विपिन साहू को अपने पाले में किया जाये। हालांकि साहू समाज के दो कार्यकारी अध्यक्ष शांतनू साहू और थानेश्वर साहू खुले तौर पर भाजपा के साथ हैं और टिकट की मांग भी कर रहे हैं। विपिन साहू का बालोद और दुर्ग ग्रामीण में प्रभाव है। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि विपिन को अपने पाले में करके रमशीला साहू को टक्कर दी जा सके।
रायपुर ग्रामीण और अभनपुर पर लगता है दांव
विधानसभा चुनाव में रायपुर ग्रामीण और अभनपुर सीट से कांग्रेस और भाजपा साहू उम्मीदवारों को मैदान में उतारती है। वर्ष 2008 के चुनाव में रायपुर ग्रामीण से भाजपा के नंदे साहू जीते और अभनपुर से चंद्रशेखर साहू की जीत हुई थी। वहीं, 2013 के चुनाव में नंदे साहू और चंद्रशेखर साहू को हार मिली, वहीं अभनपुर से साहू समाज के ही धनेंद्र साहू की जीत हुई। इस चुनाव में समाज की ओर से कार्यकारी अध्यक्ष शांतनू साहू भाजपा से रायपुर ग्रामीण से दावेदारी कर रहे हैं। समाज के नेताओं का मानना है कि अगर भाजपा साहू समाज से नये उम्मीदवार को मैदान में उतारती है, तो उसे सफलता मिल सकती है।
बस्तर में नेशनल हाइवे से लगी सभी सीटों पर 6 से 15 हजार वोटर
बस्तर में भी साहू समाज के वोटर प्रभावी भूमिका में है। नेशनल हाइवे से लगी सभी विधानसभा सीट पर साहू समाज के वोटरों की संख्या पांच हजार से 15 हजार है। बस्तर की 12 विधानसभा सीट में 11 सीट आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है, लेकिन साहू समाज की अनदेखी कोई भी दल नहीं करता है। बस्तर में हार-जीत का अंतर तीन हजार से दस हजार वोट के बीच रहता है। ऐसे में साहू मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
यह हैं साहू विधायक भाजपा- डॉ खिलावन साहू, चुन्नीलाल साहू, तोखन साहू, रमशीला साहू, अशोक साहू ।
कांग्रेस- धनेंद्र साहू, दलेश्वर साहू, चुन्नीलाल साहू, भोलाराम साहू ।
इन विधानसभा में साहू वोटर हैं प्रभावी
प्रदेश की बिलाईगढ़, बसना, सिहावा, गुंडरदेही, धमतरी, कुस्र्द, महासमुंद, राजिम, रायपुर ग्रामीण, रायपुर पश्चिम, खल्लारी, बालोद, बेमेतरा, कसडोल, रायपुर दक्षिण।