सौ. प्रिया महिन्द्रे, पुणे (महाराष्ट्र)
आज कई वर्ष बीत गये है, परंतु मेरी माता आदरणीय सौ.केशरबाई क्षीरसागर उर्फ काकू की स्फूर्ति दिलो दिमाग से विस्मृत नही होती । और होगी भी कैसी ? वह सिर्फ मेरी माता ही नही थी, बल्कि उनका व्यक्तित्व कई गुणों से भरा पड़ा है । वह एक राजकीय,सामाजिक तथा धार्मिक व्यक्तित्ववाला व्यक्तिमत्व था ।
राजकीय दृष्टि से वह एक गांव की सरपंच से लेकर सांसद - सदस्या तथा भारत सरकार की विविध कमिटियों की सदस्या थी । महाराष्ट्र सरकार की विधायक बनने के बाद व सांसद सदस्य तीन बार हो गयी । उनके राजकीय व्यक्तित्व को बीड जिला तथा महाराष्ट्र के दिग्गज नेता स्वीकार करते थे परंतु उनका व्यक्तित्व सिर्फ राजकीय कार्यकलाप से ही महत्त्वपूर्ण नही है, अपितु उनके व्यक्तित्व का बडपण सामाजिक कार्य में भी महत्वपूर्ण है समाज के वंचित तथा गरिब वर्गों का काम करते करते उन्होंने साहू - समाज अर्थात तेली समाज के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य किया है । वह तीन बार अखिल भारतीय साहू समाज की अध्यक्ष थी ।
साहू समाज की अध्यक्ष के रुप में उनका कार्य अविस्मरणीय है । पूरा उत्तर भारत तथा देश उन्हे ङ्गमाता के नाम से जानता है । कै.आदरणीय काकू सामाजिक कार्य करते समय तथा समाज के हमारे सहकारी प्राचार्य डॉ.अरुण भस्मे तथा प्राचार्य हनुमंत रणखांब तथा अन्य सहभागी हमेशा ही उनके साथ रहते थे । इसलिए उनके कार्य को हमने करीब से देखा है ।
साहू - समाज का कार्य करते समय उन्होंने अपने तीस, चालीस वर्षों में समाज के कई ठोस कार्य किए है । पहला यह कि उन्होंने समाज का संघटन मजबुत बनाया । सौ.काकू अध्यक्ष बनने के पहले देश के विविध राज्यों में समाज में संघटन का अभाव था । सौ.काकू ने स्वास्थ्य अच्छा हो या बुरा देश के पुरे राज्यों मे घुम- घुमकर समाज को संघटित बनाया । उन्होंने समाज के लोगों को संघटन का महत्व बताया । तथा विविध राज्यों की राज्य ईकाईयों को मजबूत करके उन्हें कार्य करने के लिए प्रेरित किया । सौ.काकू ने सिर्फ संघटन ही मजबूत नही किया,तो उन्हें समाज के जो गरीब लोग है, जिन्हे रोजगार नही है, शिक्षा का अभाव है, तो उन सब में एक प्रेरणा देकर समाज के सभी वर्गों को उपर उठाने का कार्य अथक प्रयत्न से किया है । इसका ही आज यह परिणाम है कि दस राज्यों में जिलों का संघटन समाज के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है । सौ.काकू ने अपने प्रयास से हर जिले के संघटन को मजबूत करके सामुहिक विवाह की प्रेरणा दी है । इसलिए यह ध्यान देने की बात है कि काकू के कार्य-काल में विविध राज्यों में राज्यस्तरीय विभागीय,तथा जिलास्तरीय सामुहिक विवाह का आयोजन किया है । इसमें सबसे विशेष बात यह थी की सौ.काकू हर सामुहिक विवाह में स्वंयः उपस्थित रहती थी । तथा हर तरह की मदत भी करती थी ।
“हमेशा मिल के रहने से नतीजे नेक होते है। वही कुछ लुत्फ आता है जहाँ दिल एक होते है । ”
माताजीने संताजी महाराज के डाक तीकीट के लीये बहुत प्रयास किया. उनके देहांतके बाद जयदत्त आण्णाजीने, खासदार तडस साहेब ने प्रयास करके यह तिकिट का आनावरण गोदिंया मे मा माजी महामयी प्रतिभाताई पाटील के हाथोसे संपन्न हुआ । माताजी आशीर्वाद और आप सबलोगोका साथ होने के कारण यह डाकतिकीटका आनावरण संपन्न हुआ । माताजीने दिखाये राह पर जयदत्तजी काम करनेकी कोशीश कर रहे है । यकीनन आप लोगों का साथ है इसी कारण जयदत्तजी पुरे भारत देश मे संगठण को मजबुत बाननेकी कोशीश कर रहे है समाज को न्याय मीले इसी कोशीश में है । साथ ही साहू समाज की आदरणीय संत माता कर्माबाई के डाक तिकिट के लिए भी अनन्त प्रयास किए है । परंतु इसमे उन्हें सफलता प्राप्त नही हुई । परंतु उनके प्रयास को साहू समाज के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा महाराष्ट्र के पूर्वमंत्री विधायक श्री. जयदत्त क्षीरसागर अथक प्रयास कर रहै है । उनका पत्र व्यवहार निरंतर जारी है । उसमें भी सफलता मिल ही जायेगी ।
समाज के शिक्षा के उत्थान के लिए सौ.काकू ने अथक प्रयास किया है । उनका मानना था कि समाज मे गरिबी तथा अंधश्रध्दा का मूल कारण शिक्षा का अभाव है । इसलिए सौ.काकू जहाँ भी जाती थी । वहाँ समाज के सभी लोगों को शिक्षा पढ़ने के लिए प्रेरित करती थी तथा प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रुप में सहकार्य भी करती थी ।
यह सब कार्य करते समय आदरणीय सौ.काकू के विशिष्ट गुण थे, जिसके कारण वह अन्य लोगो से विशेष है । उनकी जीवन की कुछ घटनाएँ ऐसी है, जो उन्हें विशिष्ट बना देती है । कोई कार्यक्रम हो या कहीं कुछ भवन की खरेदी हो , काकू स्वयं उसमें अपना योगदान देती थी । दिल्ली का साहू समाज का भवन लेते समय भी उन्होंने आर्थिक रुप से बहुत मदत दी है । एक बार तो झारखंड में एक सामाजिक कार्यकर्ता आया और कहा कि मै राजनीतिक चुनाव लढना चाहता हूँ परंतु पैसे की कमी है, तो काकू ने तुरत्न अपने हाथ की सोने की चुडीयाँ तक देदी । यह देखकर वह व्यक्ति गदगद हो उठा । समाज के कही किसी गरीब की शादी हो, तो सौ.काकू तुरत्न अपने पर्स में जितने भी पाँच पच्चीस हजार रुपये हो वह तुरन्त उस गरिब व्यक्ति को देती थी ।
जीवन के आखिरी दिनों में उन्हें जब कॅन्सर हुआ थ, वह कैंसर से ग्रस्त रही थी । तो भी समाज का कोई भी कार्यक्रम हो वह मना करने पर भी वहाँ जाती ही थी ।
हमने पूरे जीवन में यह देखा है कि वह कभी भी सरकारी रेस्ट हाऊस मे नही गयी ।हमेशा ही सामान्य कार्यकर्ता के घर गयी और वहाँ साधी रोटी और साधे सबजी का स्वाद लिया । जब वह साहू समाज के सामान्य कार्यकर्ता के वहाँ रुकती तो सामान्य कार्यकर्ता गदगद हो उठते थे । वे जीवन भर काकू के इस गुण की तारीफ करते थे ।
सौ.काकू के पदचिन्हों पर उनके सुपुत्र तथा साहू समाज के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा महाराष्ट्र के पूर्वमंत्री विधायक श्री.जयदत्त क्षीरसागर भी अपनी माता तथा साहू समाज की पूर्वअध्यक्षा सौ.काकू के पदचिन्हों पर चल रहे है । सौ.काकू के चले जाने के बाद श्री. जयदत्त क्षीरसागर ने अच्छा कार्य किया है । तथा कर रहे है सौ.काकू के कार्य को तो बढा ही रहे है । जब की देश में साहू - समाज में अपना सम्पर्क बहुत अधिक किया है । सामुहिक विवाह के साथ साथ उन्होंने संघटन को भी बहुत अधिक मजबुत किया है ।
आदरणीय श्री.जयदत्त क्षीरसागर उर्फ अण्णा के राजकीय तथा समाज के आर्थिक पिछड़ा वर्ग को हक दिलाने के लिए अपना संघर्ष तेज किया है ।यह सही है कि साहू समाज आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है । इसलिए समाज के पिछड़ा वर्ग का हक्क दिलाने के लिए उन्होंने कई बैठको तथा रैलियां का आयोजन भी किया है । अण्णा के कार्यकाल में कई समाज भवनों का निर्माण हुआ है । राज्यों के विभिन्न चुनावों में अपने साहू समाज को तिकिट दिलाने में तथा उनको चुनकर लाने में भी अण्णा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही हैं ।
समाज की विविध माँगों की पूर्ति के लिए ही 2 जून को दिल्ली में रैली होने वाली है । समाज के सम्पूर्ण उत्थान के लिए यह रैली महत्वपूर्ण है । देश के कोने कोने से लोग इस रैली मी आनेवाले है । माता कर्मादेवी के डाक तिकिट के प्रकाशन के लिए भी अण्णा बहुत प्रयास रत है ।
साहू समाज के उत्थान के लिए सामुहिक प्रयास की आवश्यकता है । इसलिए हरेक साहू समाज के व्यक्ति ने अपने समाज के लिए जितना हो सके उतना सहकार्य करें तो ही यह सब सम्भव है ।
“ दुनिया की तारीख में लिख दो ये इबारत हम एक थे, हम एक है, हम एक रहेंगे ”
जय हिन्द ! जय साहू समाज !