लोहरदगा - तेली जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर लोहरदगा में धरना प्रदर्शन हुआ। छोटानागपुरिया तेली उत्थान समाज द्वारा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा गया । समाहरणालय के समक्ष धरनाप्रदर्शन को संबोधित करते हुए मुख्य संरक्षक डॉ टी साहू ने कहा कि दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में निवास करने वाले तेली जाति का इतिहास संस्कार और संस्कृति आदिवासी जैसा है। इस आधार पर तेली जाति को एसटी का दर्जा मिलना चाहिए। अबतक तेली समाज के साथ अन्याय हुआ है। । दक्षिणी छोटानागपुर में तेली जाति के निवास का प्रमाण 1236 में रजिया सुल्तान के शासन के समय से है। इस समाज के कुछ लोग पहान, पुजार, महतो और भुईहर थे। इतिहास और संस्कृति के दृष्टिकोण से हम आदिवासी हैं। 70- 80 साल पहले इस क्षेत्र के उरांव, मुंडा व खड़िया जाति को कोल्ह कहा जाता था। तेली जाति को भी कोल्ह तेली कहा जाता था । दोनों के संस्कार एक तरह हैं, मगर एक साजिश के तहत हमें पिछड़ी जाति की सूची में शामिल किया गया है । जिलाध्यक्ष कृष्णा प्रसाद साहू ने कहा कि छोटा नागपुरिया तेली झारखंड के सबसे पुराने बाशिंदे हैं । आजादी के बाद तेली समाज सिर्फ वोट देते रहा है। हमें वोट लेने का अधिकार नहीं है। क्योंकि दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल क्षेत्र आदिवासियों के लिए आरक्षित है । सरकारी उपेक्षा के कारण समाज अति पिछड़ा और गरीबी में जी रहा है । समाज के नेताओं ने सरकार से मांग की है कि जनजातीय संस्थान से शोध करा कर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाए ताकि तेली को एसटी का दर्जा देने का मार्ग प्रशस्त हो । धरने में महेश्वर साहू, संजय कुमार साहू, बजरंग साहू, मुकेश प्रसाद साहू, प्रकाश साहू, अशोक साहू, रवि, भरत, मुनेश्वर नायक, प्रहलाद साहू, राम केश्वर साहू, कालीचरण साहू, अनीता साहू, सुनीता साहू, शीला साहू, उमा देवी, सविता साहू, बबीता देवी, दिलीप साहू, पंकज साहू सहित काफी संख्या में तेली समाज के लोग मौजूद थे।