कहते है हौसले बुलंद हो तो मौत भी घुटने टेक देती है और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई रूकावट इंसान का रास्ता नहीं रोक सकती। कुछ इसी तरह की दास्तां, धमतरी जिला के कुरूद में रहने वाले बंसत साह की है। जिन्होंने मौत को मात देकर पेन्सिल को अपनी जिंदगी बनाया और हाथ पैर से अपाहिज होने के बाद भी पेटिंग में महारत हालिस कर ली।
कुरूद निवासी बसंत साहू एक समय अपनी मौत के इंतजार में था कि कब उसको इस जिल्लत भरी जिंदगी से मुक्ति मिल जाये लेकिन जीवन में ऐसा मोड़ आया कि एक बेजान पेन्सिल ने उसके शरीर में जान फ़क दी और फिर वसंत ने इसी पेन्सिल को अपना जीने का सहारा बना लिया और आज हाथ पैर से विकलांग बंसत साहू की बनाई पेटिंग देश-विदेश में धूम मचा रही है और इसी पेटिंग की वजह से इनको देश और विदेश में मान-सम्मान व प्रसिद्धी मिल रही है। दरअसल बंसत साहू 21 साल पहले इलेक्ट्रानिक्स का काम करता था और इसी सिलसिले में किसी काम से पास के गांव जाना हुआ था, कि वापस घर लौटते वक्त ट्रक ने उनको ठोकर मार दी। हादसे के बाद उनके दोनों पैर व हाथ काम करना बंद कर दिया और शरीर भी पूरी तरह से कमजोर हो गया। जिसके चलते बंसत का सारा दिन बिस्तर में गुजरने लगा। जिसके बाद मानो बंसत को सिर्फ मौत का इंतजार रहने लगा कि कब उसको इस जिल्लत भरी जिंदगी से छुटकारा मिले। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। बिस्तर में पड़ेपड़े बसत रोज पेसिल पकड़ कर चित्रकारी करने की कोशिश करता था। शुरूआत में थोड़ी समस्या जरूर हुई लेकिन बाद में कोशिश ऐसे कामयाब हुआ की मानो उसके हाथ में जादू है। उनके द्वारा बनाये पेटिंग आज देश-विदेश के प्रदर्शनी में लगाई जाती है और इसी पेटिंग के बदौलत बंसत को कई सम्मान मिल चुका है। अब बसंत साहू की एक ही ख्वाहिश है कि नक्सल प्रभावित बच्चों को पेटिंग कला सिखाने की ।
आज के इस दौर में युवाओं में सबसे कमजोरी ये है कि छोटी सी समस्या आने पर ही आत्मघाती जैसे कदम उठाने को तैयार हो जाते है। लेकिन आज बंसत साहू पूरे इलाके के युवाओं के लिये प्रेरणास्त्रोत बना हुआ है। एक आदमी विकलांग होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारा और अपनी जिदंगी पेसिल और पेटिंग को बना ली। बंसत के इस हौसले को कभी भी परिवार वालों ने रोकने की कोशिश नहीं की। बंसत के हर कदम पर परिवार के लोगों ने भरपूर साथ दिया। बसत के हौसले और उनके इस कामयाबी से उनके छोटे भाई अपने आप में बहुत ही गर्व महसूस कर रहे हैं। बंसत के छोटे भाई की माने तो आज पूरे इलाके में उनको उनके बड़े भाई के नाम से जाना जाता है। कुरूद नगर पंचायत के अध्यक्ष रविकांत चन्द्राकर ने चर्चा में बताया कि, बसंत के हौसले की मिशाल आज दूर दूर तक फैला हुआ है और लोग उनके जज्चे को देख कर दातो तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते हैं। आज बसत इलाके के लिये एक पहचान बन गया है। जिसके चलते लोग दूरदूर से उनके बनाये हुऐ पेंटिंग कला को देखने के लिये आते है। यहाँ के लोग बसत को कुरूद का शान मानते है। जिनकी वजह से कुरूद को एक नई पहचान मिली है। बहरहाल अगर इंसान के अंदर कोई जज्बा हो तो दुनिया की सारी कायनात भी उसे रोक नहीं सकती अगर आप में सच्ची लगन और मन में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती।