परिचय: छत्तीसगढ़ प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू पति डॉ. दयाराम साहू (पूर्व विधायक, गुंडरदेही) का जन्म 22 सितम्बर 1960 को ग्राम बोरसी (मुरमुंदा), तहसील धमधा, जिला दुर्ग में हुआ। श्रीमती साहू की शैक्षणिक योग्यता बी.ए. (वर्ष 1981, घनश्याम आर्य कन्या महाविद्यालय दुर्ग) आयुर्वेद रत्न (वर्ष 1983-84 भिलाई) है। इनका विवाह डॉ. दयाराम साहू, ग्राम बटरेल, तहसील पाटन, जिला दुर्ग से वर्ष 1981 में हुआ। इनके दो पुत्र (विवाहित) हैं।
श्रीमती रमशीला साहू का जन्म एक कृषक परिवार में हुआ इनका परिवार हमेशा से ही धर्म और सामाजिकता से जुड़ा रहा है। इनके पिता श्री भुलऊराम साहू पेशे से कृषक होते हुए समाज सेवा में इनकी विशेष रूचि रही है। अपने पिता की पहली संतान के रूप में श्रीमती रमशीला साहू ने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए अपनी शिक्षा जारी रखी।
स्कूली शिक्षा: इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में विद्यालय न होने के कारण गांव से 7 कि.मी. दूर ग्राम गोढ़ी पैदल चलकर जाना पड़ता था जहां इन्होंने पहली से लेकर 11वीं तक का शिक्षा ग्रहण की उच्च शिक्षा के लिये दुर्ग के घनश्याम सिंह आर्य महाविद्यालय से बीए की शिक्षा प्राप्त की ।
वैवाहिक एवं पारिवारिक जीवन: शिक्षा ग्रहण के पश्चात् इनक विवाह ग्राम जोरातराई में सन् 1981 में एक धार्मिक और संस्कारित परिवार में हुआ। इनका पति डॉ. दयाराम साह हैं जो पेशे से चिकित्सक हैं, जो अपना पूरा समय समाजसेवा के कार्य एवं धार्मिक कार्यों में लगे रहते हैं वे स्पष्टवादी एवं बड़े सरल स्वभाव के हैं, संयुक्त परिवार में बहु बनकर गई। साथ ही घर के पूरे कार्य करने के पश्चात बाकी समय में अपने पति के डॉक्टरी पेशे में भी हाथ बटाते हुए मेडिकल स्टोर्स का पूरा काम संभालती थी। इनके दो पुत्र हैं, बड़ा बेटा पूर्णानंद साहू जो बी.ए.एम.एस. किया है। व्यवसाय व घर की देखभाल करता है और छोटा बेटा डॉ. हुनेन्द्र साहू जो मेडिकल ऑफिसर है।
राजनीति यात्रा: इनके पति डॉ. दयाराम साहू जो पेशे से चिकित्सक होने साथ-साथ समाजसेवा का कार्य करते रहे और जो भारतीय जनता पार्टी में अपनी सेवा दे रहे हैं, सन् 1990 में पहली बार जब त्रिस्तरीय पंचायती राज अधिनियम लागू हुआ तब इनका गाँव जोरातराई जो गुण्डरदेही विकासखंड में आता था, क्षेत्रवासियों का स्नेह एवं भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता होने के कारण सबकी इच्छा इनके पति डॉ. दयाराम साहू जी (पूर्व विधायक, गुंडरदेही) की ओर थी लेकिन जनपद अध्यक्ष की सीट महिला होने के कारण इनके पति एवं परिवार के आदेशानुसार इन्हें जनपद अध्यक्ष के लिये 1990 जनपद पंचायत चुनाव के लिये नामांकन भरवाया गया, परंतु न्यायलोन कारणवश आठ दिन पहले ही चुनाव चार साल के लिए स्थगित हो गया, इसके पश्चात सन् 1994 में पुन: चुनाव हुआ जिसमें जनता के आशीर्वाद से क्षेत्र की जनपद सदस्य बनी और सारे जनपद सदस्यों में से चुनकर सन् 1994 से 2000 तक जनपद अध्यक्ष के पद रहकर जनसेवा को। सन् 2002 में पुन: जनता के आशीर्वाद से जनपद सदस्य बनीं। पार्टी के आदेशानुसार इन्हें सन् 2003 में मुझे विधानसभा गुंडरदेही से भाजपा का टिकट मिला। क्षेत्रवासियों के प्यार और आशीर्वाद से पहली बार विधायक निर्वाचित हुई। विधायक होने के साथ-साथ प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी ने इन्हें महिला बाल विकास विभाग के साथ संसदीय सचिव का भी दायित्व दिया। वर्तमान 2013 विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण से विजयी होकर महिला बाल विकास मंत्री के रूप में सेवा दे रही है।
विभाग की उपलब्धियाँ : छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पश्चात यदि महिलाओं में जो भी जागरूकता आई है वो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी की सोच के बदौलत ही है, उन्होंने पुरुष और महिला का पूरा अंतर ही प्रदेश में खत्म कर दिया है। उनकी सोच है कि सबको समान अधिकार होना चाहिये, महिलाओं को जागरूक करने उनके द्वारा विभिन्न योजनाएँ छत्तीसगढ़ में चलाई जा रही है। महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने प्रदेश में 68.002 स्वसहायता समूह चलाया जा रहा हैं। जिसमें 8,86,202 महिलाएँ समूह से जुड़कर सभी योजनाओं का भरपूर लाभ उठा रही है। जैसे - सक्षम योजना, सबल योजना, किशोरी शक्ति योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिससे प्रदेश की महिलाएँ मजबूत और संगठित हो सके। जिसके लिए श्री रमशीला साहू जी ने मुख्यमंत्री जी के आदेशानुसार से महिला कोष का गठन किया। जिसके माध्यम से मात्र प्रतिशत व्याज दर पर ऋण देकर समूहों को मदद किया जा रहा है। जिनके माध्यम से बड़ी, आचार, पापड़ बनाना, मशरूम की खेती, मुर्गी पालन जैसे लघु उद्योग चलाए जा रहे है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ उनकी सेहत को ख्याल रखते हुए पूरक पोषण आहार भी दिया जाता है। आंगनबाड़ी को शिक्षा की नींव कहा जाता है। आंगनबाड़ी के माध्यम से शिक्षाप्रद कहानी एवं खेल-खेल में शिक्षा देते हैं साथ ही 6माह से ३वर्ष तक के बच्चे, ३वर्ष से 6वर्ष तक के बच्चे एवं गर्भवती, शिशुवती महिलाओं को पूरक पोषण के माध्यम से सुपोषित करते है। स्नोप योजना में देश में प्रथम स्थान, वन स्टॉप सेंटर प्रदेश के सारे जिलों में लागू, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं में भारत में छत्तीसगढ़ का प्रथम स्थान है।
संदेश : समाज में महिलाओं को सशक्त कर सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक पहल साबित हो सकती है। संगठित करने हेतु ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की आवश्कता है। सामाजिक जागरूकता का विकास हुआ है उसमें और वृद्धि होनी चाहिए। समाज में जागरूकता, शिक्षा के क्षेत्र में और आगे बढे। व्यवसायिक क्षेत्र में सहयोगात्मक भाव से कार्य करने में वृद्धि हो। ताकि बिजनेस में लाभ अर्जितकर अपना व समाज का विकास में अपनी भूमिका निभा सके । शिक्षा के साथ-साथ संस्कार अति आवश्यक हैं। संस्कार अच्छा मिलेगा तो सामाजिक बुराईयाँ नही रहेगा। एक-एक पैसे का उपयोग पूर्ण विवेक के साथ कर पायेंगे। इससे हर क्षेत्र में प्रसन्नता आएगी और समाज का विकास और अच्छा से हो पायेगा। सामाजिक बुराईयों से हमेशा दूर रहे। सामजिक चेतना आना चाहिए। तभी खुद के पहल से नशा आदि से कोष दूर रहा जा सकता हैं। नशा एक धीमा जहर हैं। जो शरीर व समाज को नुकसान पहुंचाता है। कबीर पंथ, राधास्वामी, गायत्री परिवार में हमारे समाज की उपलब्धता अधिक है। हमारा समाज सही दिशा में होने के बाद भी आज का युवा पीढ़ी को सही संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। महिलाओं में माता-बहनें सबसे ज्यादा जागरूक हैं। सामाजिक स्तर पर संगठित करके समाज के उत्थान एवं सशक्तिकरण की दिशा में उपयोगी साबित हो सकती है।