मिलनसार, जुझारु श्री सत्यप्रकाश साहू को बचपन से ही कुछ न कुछ नया करने की ख्वाहिश रखते थे। इसी सोच व संकल्प को मूर्त देने के लिए सामाजिक उत्थान की दिशा में सार्थक पहल करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे है। समाज सेवा के क्षेत्र में निरंतर कार्य करते आ रहे हैं। ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े हैं। खेती-किसानी के कार्यो में आपकी काफी रुचि रही है। घर की खेती-किसानी के कार्यो में हमेशा हाथ बंटाया। स्कूल की पढाई गाँव से 4 किमी. दूर अर्शनी में ही हुई। 9वीं कक्षा में स्कॉउट सम्मान, 10 वी में राज्यपाल पुरुस्कार (स्कॉउट के क्षेत्र में) मिला। स्कली अध्ययन के बाद कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। ग्रामीण परिवेश की नई सोच को विस्तार प्रदान करने के लिए स्नातकोत्तर की पढ़ाई ग्रामीण विकास विषय लेकर पूरी की। आपको रूचि साक्षरता के क्षेत्र काफी रही हैं। इस दिशा में आपके द्वारा काफी प्रयास भी किया गया। किसानों के हितों में आंदोलनों में आपको सहभागिता बराबर रही है। निरक्षर लोगो को साक्षर करने के लिए सन् 1992 से 2020 तक आपके द्वारा निरंतर काम किया गया।
विभिन्न दायित्वों का निर्वन:
श्री साहू ने चर्चा में बताया कि, साहू समाज के विकास एवं उत्थान की दिशा में अपने आप को जोड़कर कार्य करने की हमेशा रही है। जब 11 वीं में पढाई कर रहा था उस समय पहली बार सामाजिक संगठनों में भाग लेना शुरू किया। सामाजिक आयोजनों में आप सक्रियता से भाग लेते रहें। बचपन में युवा प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी मिली और युवाओं को एकजुट करने का काम किया। युवा शक्ति को समाज के हित में अधिक से अधिक लगाने के प्रयास में काफी सफलता मिलो। सन् 1998 में टी.वी. रिपेयरिंग की ट्रेनिंग लेने के बाद खुद का व्यवसाय टीवी इलेक्ट्रानिक्स ग्राम करही में प्रारंभ कर काम किए। सन् 2000 में ही नेहरू युवा केन्द्र भारत सरकार के द्वारा स्वशासी खेल एवं युवा कल्याण विभाग में सम्मिलित होकर बच्चों के समेकित स्वास्थ्य एवं पोषण कार्यक्रम के लिए संस्था केयर इंडिया के साथ मिलकर चलाया। सन् 2001-02 कमार जाति को लावलीहुड के क्षेत्र में बांस कला का प्रशिक्षण श्रोत संस्था (सोशल रिवॉयवल ग्रुप ऑफ अरबन रूरल एण्ड ट्रायबल) से साथ मिलकर देने का काम किया गया। ग्रामीण महिलाओं का 50 स्व सहायता समूहों का गठन कर उन्हें सशक्त किया गया। ट्रेनिंग का कार्य श्रोत संस्था व केयर इंडिया के द्वारा आई.एन.एच.पी.2 में अभनपुर में सन् 2002 में किया गया और नवम्बर 2002 में छ.ग. शासन के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रारंभ की गई राज्य स्वास्थ्य संगठन केन्द्र के माध्यम से मितानीन कार्यक्रम का भी संचालन किया। इस प्रोजेक्ट में समन्वयक के रूप में अपनी भूमिका निभाई। क्षेत्र समन्वयक के रूप में सन् 2002 से 2005 तक सरगुजा संभाग के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यक्रमों का संचालन, कार्यक्रम सहायक के तौर पर 2005 से 2012 तक बिलासपुर संभाग में कार्यक्रमों को सफलता पर्वक किया गया। अभी वर्तमान में आप प्रदेश स्तर पर कार्यक्रम समन्वयक की जिम्मेदारी का निर्वहन कर अपनी सेवायें दे रहे है।
सामाजिक जिम्मेदारियों का सफर:
सामाजिक पदों पर निर्वहन के अंतर्गत 2003 में जिला साहू संघ अविभाजित सरगुजा के प्रचार सचिव की जिम्मेदारी निभाई। 2006 से 2009 तक संयोजक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ नगर साहू संघ बिलासपुर की जिम्मेदारी, 2010 में संयोजक युवा प्रकोष्ठ जिल्ला साहू संघ विलासपुर के दायित्वों का निर्वहन किया। अभी वर्तमान में 7 जनवरी 2015 से प्रदेश संयोजक छ.ग. प्रदेश साहू संघ युवा प्रकोष्ठ के दायित्व का कुशलता के साथ युवा को संगठित करते आ रहे हैं।
युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक के तौर कार्य:
प्रदेश संयोजक के दायित्व का पदभार ग्रहण के पश्चात से युवाओं में नेतृत्व क्षमता विकास के लिए प्रदेशभर के विभिन्न शहरों में लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। युवाओं में दक्षता विकास के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। प्रशिक्षण के माध्यम से कैसे लोडरशिप किया जाये इस दिशा में सामूहिक रूप से काम हो रहा हैं। विभिन्न सुझावों के माध्यम से उचित दिशा देने हेतु कार्यक्रम लगातार हो रहे हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से अधिक से अधिक युवा को सामाजिक विकास एवं उत्थान की दिशा में जोड़ने में सफलता मिली है। पूरे प्रदेश में युवा प्रकोष्ठ के संगठनों को स्थापित किया जा रहा है। सभी संभाग में पूर्ण रूप से संगठन का विस्तार किया जा चुका है। युवाओं के बेहतर विकास के लिए समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। कोरिया में जिला युवा प्रकोष्ठ के माध्यम से नेत्रदान अभियान की शुरुआत की गई। लगभग हजार की संख्या में नेत्रदान के लिए प्रेरित होकर घोषणा किये गए। इसी कार्यक्रम के माध्यम से प्रेरित होकर दो लोगों ने नेत्रदान के साथ देहदान को घोषणा की। प्रदेश युवा प्रकोष्ठ के माध्यम से पूरे प्रदेश भर में रक्तदान अभियान चलाया जा रहा है।
दानवीर भामाशाह जयंती मनाने की पहल:
कर्मा माता एवं राजिम माता की जयंती के साथ दानवीर भामाशाह की जयंती मनाने के लिए विशेष जोर दिया जा रहा है। हमारा समाज दानवीर समाज भामाशाह के द्वारा किए गए अतुलनीय योगदान के कारण कहलाता है। ऐसे महापुरूष की जयंती से परे समाज के साथ देश में प्रेरणा का संचार हो पायेगा। इस प्रयास में पिछले वर्ष दानवीर भामाशाह जयंती का कार्यक्रम पूरे उत्साह एवं प्रेरणा के साथ मनाया गया। बिलासपुर के अनाथालय, मातृ-छाया बिलासपुर आदि सहित विभिन्न स्थानों पर रचनात्मक कार्यों की पहल के साथ मनाई गई। जिसकी लोगों ने काफी सराहना मिलो। भविष्य में प्रदेश स्तर पर दानवीर भामाशाह कोष गठन कर निर्धन, असहाय, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में जरूरतमंदों के लिए कार्य करने की विशेष योजना है। कैरियर काउंसलिंग के साथ प्रतिभावान युवा साहित्यकारों को चिन्हांकित कर उनका सम्मान किया जाये, युवाओं को व्यवसाय के क्षेत्र में अधिक से अधिक जोड़ने का प्रयास किया जायेगा। आज की युवा पीढ़ी को आधुनिक खेती को ओर अग्रसर कर उनका आर्थिक विकास हो, इस हेतु प्रयास किया जायेगा। मेहनती किसानों को संगठि करके दक्षता विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने की योजना है।
जीवन का आदर्श :
माता-पिता को अपना आदर्श मानने वाले श्री सत्यप्रकाश साहू सामाजिक उत्थान एवं विकास को दिशा में निरंतर अपने आप को स्थापित कर रहे हैं। समाज में विशेष योगदान देने वाले श्री मोतीलाल साहू को भी अपना आदर्श मानकर जनसेवा के कार्य में लगे हुए हैं। श्री साहू की सामाजिक सोच के साथ कार्यशैली एवं विचारों से काफी प्रभावित हुए।