जीवन के हर पड़ाव में अपने आप को साबित करने अवसर मिले यह सभी के साथ नही हो पाता है। श्री विष्णु साहू अपने आप को आज उस मुकाम में खड़ा किया है जहाँ पर हर कोई अपने आप को देखना चाहता है। बचपन के दिन:बचपन हमेशा ही अभावों में बीता। स्कूली पढ़ाई के साथ जीवन जीने के लिए संघर्ष की राह में चलना पड़ा। उस समय कोई मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। कक्षा 4थी से 7वीं तक की पढ़ाई पैतृक ग्राम बढ़ना (पाटन) से हुई। आगे की पढ़ाई के लिए रायपुर की आ गए। कक्षा 8वीं की पढ़ाई के दौरान हाटबाजार के पास लगने वाले चाचा जी के हॉटल में हाथ बटाया। इसी दौरान वॉल पेंटिंग्स का भी काम किया। 12वीं की पढ़ाई के दरम्यान पैतृक व्यवसाय का कार्य डेयरी उद्योग से जुड़ गए। मोहल्ले के एक डेयरी में काम भी किए। गैस दुलाई का भी कार्य किये। इस प्रकार काम करके अपने पढ़ाई की खर्च के साथ अन्य दैनिक आवश्यकताओं की व्यवस्था करते थे। कॉलेज की पढ़ाई छत्तीसगढ़ महाविद्यालय से पूरी की। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान छात्र संगठन से जुड़ गए। संगठन के माध्यम से छात्र-छात्राओं की समस्याओं के निराकरण के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे। आपका मानना है कि, बड़ी सोच रखकर अच्छा आचरण के साथ कार्य करने पर निश्चित रूप से सफलता मिलती है।
आर्थिक उन्नति के लिए प्रयास:
पारिवारिक स्थिति की आर्थिक संपन्नता के उद्धेश्य से स्वप्रेरणा के साथ स्वयं के व्यवसाय स्थापित हो, इसके लिए पैतृक डेयरी व्यवसाय को आगे बड़ा रूप देने में जुट गए। सन् 1995 में डेयरी को आगे बढ़ाने के लिए एक भैंस के साथ व्याज़ से पैसा जुटाकर शुरूआत किए । परिवार को एकता, कड़ी मेहनत व कुछ करने की जज्बा के साथ तीन माह में 1100 की आर्थिक सहयोग लेकर फिर दो भैंस खरीदें। कुछ की समय में धीरे-धीरे भैंसो की संख्या तीस हो गई। शहर में डेयरी फार्म के नाम से प्रसिद्धी मिली। इसी दरम्यान कॉलेज की पढ़ाई भी चल रही थी। काम के साथ पढ़ाई का तालमेल बनाया। एक किस्सा के बारे जिक्र करते हुए बताया कि, कॉलेज पढ़ाई के दौरान ''तेरा तीन वज़ गया यह वाक्य बहुत प्रसिद्ध था। कारण तीन बजे में कॉलेज से निकलकर अपने काम में लग जाता था। पढ़ाई फिर काम इन्हीं दोंनो के बीच जोवन चल रहा था। रायपुर राजधानी बनने के पश्चात् । डेयरी का काम को श्याम नगर से मठपुरैना में स्थांतरित करना पड़ा। वहाँ जाकर 30 भैंसो से 108 करके व्यवसाय को मजबूती प्रदान दी।
डेयरी के साथ-साथ 20 जुलाई 1999 को आर्थिक वृद्धि के उद्देश्य से भारतीय जीवन बीमा का अभिकर्ता बने। इस काम में काफी सफलता मिली। करोड़पति अभिकर्ता के लिए पहचाने जाते थे। एक माह में 85 लोगों के बीमा करने का रिकार्ड बनाया। इसके लिए सम्मानित किया गया।
समाज सेवा के क्षेत्र में सफर:
सन् 2000 में पारिवारिक बंधनों में बनने के दौरान समाजिक बंधुओं से मिलने का मौका मिला। खुद की आर्थिक विकास के बाद सोचा कि अब समाज के विकास में भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। इस उद्देश्य से समाज के कार्यक्रमों में आना जाना प्रारंभ किया। 2007 से लगातार समाज के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेते रहे। युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ने का काम किया।
समाज हित की सोच को युवाओं के बीच अपने बात रखने में सफलता मिली। कुछ समय के लिए रायपुर शहर साहू समाज में दो संगठनों का उदय हुआ। दोंनो पक्षों की ओर से युवा प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी देने की बात कही गई। किन्तु इस बिखराव की स्थिति में पदभार ग्रहण नहीं किया। दोनो संगठनों को एक करने के लिए कोर ग्रुप निर्माण के 15 दिवस के भीतर समाज के वरिष्ठजनों के कुशल मार्गदर्शन से संगठन एक हुआ। 10 जुलाई 2016 को शहर जिला साहू संघ के युवा प्रकोष्ठ संयोजक दायित्व ग्रहण किए।
अभी वर्तमान में युवा प्रकोष्ठ के नेतृत्व के अंतर्गत सभी 70 वार्डो में युवा प्रकोष्ठ के गठन का कार्य किया जा रहा है। कुछ वार्डों में गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। बचे वार्डों में गठन की प्रक्रिया चल रही हैं।
राजनीतिक सफर की शुरूआत:
2015 में कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होकर कार्यकर्ता के रूप में कार्य बने । पार्टी के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का काम किया। नगरीय निकाय के चुनाव में काफ काम करने का मौका मिला। कांग्रेस पार्टी के सभी उम्मीद्वारों के लिए कार्य करने के सुखद अनुभव रहा। अभी वर्तमान में सिविल लाईन वाई का ब्लॉक कांग्रेस उपाध्यक्ष के पद पर पार्टी की सेवायें दे रहे हैं।
16 अप्रैल 2016 को रायपुर शहर कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया गया। पार्टी के हर आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। आगे भी पार्टी के द्वारा दी जाने वाली सभी दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा व ईमानदारी से निभाने की बात कही।
युवाओं के लिए किए जा रहे प्रयास:
शहर के युवाओं के व्यक्तित्व विकास के साथ आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। युवाओं की बेहतर रोजगार मिले, समुचित स्वास्थ्य सुविधा हो एवं आत्मनिर्भर हो सके, इस हेतु सतत प्रयास जारी हैं। शहर में अपने समाज के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने हेतु प्रेरित करने का कार्य किया जा रहा है। नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था हो इस हेतु प्रयास किया जा रहा है। लघु उद्योग व स्वरोजगार के लिए अधिक से अधिक प्रयास कर रहे हैं। नौकरी के पीछे समय न गंवाकर स्वरोजगार को अपनाकर काम करे। विभिन्न आयोजनों के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। शहर के युवाओं को अधिक से अधिक सामाजिक विकास में जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसी के फलस्वरूप आज युवाओं में एकता साफ झलक रही है।