हाल में क्रिकेट जगत के उस समाचार से तेली समाज का सीना सचमुच 56" का हो गया जब ग्राम-मानपुर, जिला-गया (बिहार) के निवासी श्री पंकज साव के सुपुत्र श्री पृथ्वी पंकज साव (18 वर्ष) ने अन्तर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में प्रथम बार प्रवेश करते हुए शतक (134 रन) ठोंक कर मैन ऑफ दी मैच का खिताब जीता । इसके पहले फरवरी 2018 में भी न्यूजीलैण्ड में खेले गए अण्डर-19 विश्व कप क्रिकेट में इनके नेतृत्व में भारत को चौथी बार विजेता बनने का गौरव प्राप्त हुआ था ।
इतिहास के पन्नों में कभी-कभी ऐसा क्षण भी आता है, जिसको स्वर्णिम अक्षरों से अंकित किया जाता है। वर्तमान में समाज के लिए स्वर्णकाल से कम नहीं है। जहाँ एक ओर | माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी, भारत के प्रधान मंत्री के पद पर विराजमान हैं, तो दूसरी ओर
झारखण्ड में माननीय रघुवर दास जी मुख्यमंत्री पद पर आसीन हैं। भले ही उच्च पदों पर इनके आसीन होने में सिर्फ स्वजाति का ही नहीं वरन् समाज के अन्य घटकों का भी योगदान रहा हो, परन्तु एक अजीब-सी आत्म विश्वास, चेतना (ज्यादातर देहाती क्षेत्रों में) पनपा है। पहले हम 'तेली' कहने में हिचकिचात थे परन्तु अब लोग तेली कहने में नहीं हिचकते। यह हमारी बौद्धिक विकास नहीं तो और क्या है ?
समय आ गया है कि हम सभी क्षेत्रों में (जिसमें हमारे बच्चों की अभिरुचि हो) अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करें। एक समय था जब कहा जाता था कि “खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब"- अब वह दिन गया। बच्चों की अभिरुचि को देखते हुए किसी भी कार्य, खेल-कूद में आगे बढ़ने की प्रेरणा देने का समय आ गया है। आज पृथ्वी साव जी के क्रिकेट के क्षितिज पर स्थापित होने से हमारे समाज में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। सभा उनको सचिन तेन्दुलकर की तरह रिकार्ड बनाने और क्रिकेट जगत में ध्रुवतारा की भाँति सदियों तक चमकते रहने की कामना करती है।
सचमुच समय आ गया है कि हम अपने बच्चों को भी क्रिकेट जगत में स्थापित करने की कोशिश करें । पृथ्वी साव (शॉ) ने अपने कार्यों से भारत का ही नहीं वरन् बिहार समेत अपने समाज एवं परिवार का भी गौरव बढ़ाया है। उनके उज्ज्वल भविष्य की कामनाओं के साथ ।