देवी सिंह राठौर अध्यक्ष राज्य ईकाई, इन्दौर (म.प्र.) राष्ट्रीय तैलिक साहू राठौर चेतना महासंघ
अपना तैलिक समाज देश के हर क्षेत्र में फैला एक विशाल समाज है परन्तु सम्पर्क के अभाव में यह अलग-अलग समूहों में बटा हुआ है। समाज के कुछ पुराने पंथियों ने भी अपनी हठधर्मिता बनाये रखने के कारण इसे अपने तक ही सीमित रखा और उसका उपयोग अपने हित में किया। वर्तमान बदलते युग में जब दुनियां ही आस-पास लगने लगी है तो हमें अपने समाज को प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने के लिए एक जुट होना होगा। छोटेछोटे समूहों को एक विशाल समाज बनाकर देश में उसे प्रतिष्ठित कर समाज बंधुओं को अपनी संगठन शक्ति का परिचय देना होगा। शरीर के अन्य अंगों की तरह हम अपने क्षेत्रों में काम करते हुए भी समाज हित में जो कार्य एकजुट होकर करना चाहिए, उसे करें।
चेतना महासंघ का उददेश्य भी यही है कि अन्य समाजों की तरह हम मिलकर कार्य करें और समाज की पहचान बनायें।
हम भले ही भामाशाह और वीर दुर्गादास राठौर पर गर्व करें पर आज भी हमारा समाज हर दौड़ में बहुत पिछड़ा हुआ है। किसी भी समाज का दर्पण उसका शिक्षित होना प्रथम गुण माना जाता है। अगर कुछ क्षेत्रों को छोड़ दें तो आज भी समाज में शिक्षा का बहुत अभाव है इसके रहते उन्नति की कल्पना करना दिवा स्वप्न होगा। हमें प्रयत्न पूर्वक मिलकर जुटना होगा तभी समाज के हर हिस्से में शिक्षा की ज्योति जलेगी और समाज आलोकित होगा।
राजनीतिक क्षेत्र में भी विशाल समाज होने के बावजूद गिनती के लोग ही प्रतिष्ठा की स्थिति तक पहुंच पाये हैं वे भी स्वयं के परिश्रम से उसमें समाज का योगदान नहीं है या नगण्य है। विशाल समाज के अनुसार हमारे बीच राजनैतिक चेतना और सहयोग का अभाव है। देश के कई चुनाव क्षेत्रों में समाज की भूमिका निर्णायक है पर एकता के अभाव में हम राजनैतिक पार्टियों पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाते और समाज बंधुओं को उसमें भागीदार नहीं बनवा पाते हैं। पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी योजनाओं, ऋण सुविधाओं, नौकरियों में आरक्षित पदों, शिक्षा के क्षेत्र एवं शिक्षा में प्राप्त होने वाली सुविधाओं का प्रचार हमें योजनाबद्ध तरीके से करना होगा।
हमें सब को मिलकर आगे आना होगा, अपनी योग्यता और सामर्थ्य के अनुसार समाज यज्ञ में अपनी आहुति देना होगी ।प्रगति में विश्वास रखने वाले पथ प्रदर्शक एवं नवजवान बंधुओं को अपनी व्यस्तता में से समाज के लिए समय निकालना होगा। जीवन की सार्थकता भी पूर्ण होगी जब हम अपने समाज बंधुओं के लिए कार्य कर अपने कर्तव्य का निर्वाह करेंगे। किसी को तो मशाल थामनी होगी। क्यों नहीं यह शुरुआत हम अपने से करें और अन्य लोगों को अपने साथ लें।