साहू राठौर तेली समाजोत्थान के लिए सार्थक एवं समर्पित सोच की आवश्यकता

कैलाश नाथ साहू, महामंत्री, उ०प्र० साहू राठौर चेतना समिति राष्ट्रीय तैलिक साहू राठौर चेतना

       हम एक लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं और यह जानते हैं कि हमारी यात्रा अभी लम्बी है, नदी को सागर तक पहुंचने में अनेक अवरोधों का सामना करना पड़ता है। बड़ी-बड़ी चट्टानें उसके मार्ग में आती हैं और रुकावटें डालती हैं लेकिन इन अवरोधों से टकराकर नदी के प्रवाह में तेजी व उत्तेजना पैदा होती है। वह अपने बहने के तारतम्य को नहीं तोड़ती और एक क्षण ऐसा आता है जब अवरोधों को अपने आप हट जाना पड़ता है या उसक प्रवाह में टूट-टूट बह जाना पड़ता है। हमें अपने समाज की प्रगति को, प्रवाह की गति को और तेज करना होगा। संस्थाएं मात्र धन से नहीं चला करतीं। दृढ संकल्प और समर्पित प्रयास ही किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होता है।दृढ संकल्प की धरती और अनन्त आकाश सी इच्छा शक्ति की पूंजी से ही आगे बढ़ा जा सकता है। जब दृढ़ संकल्प व्यक्ति उपहास की परवाह किए बगैर अपने प्रयत्न जारी रखते हैं तो प्रतिपक्षी लोग खुलकर विरोध करने लगते हैं और विघ्न उत्पन्न करते हैं। उनके आचरण और चरित्र पर आक्षेप करने लगते हैं परन्तु दृढ़ संकल्प व्यक्ति इस तरह के विरोध की परवाह न करके एकाग्रता के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं तब विरोधी हताश होकर विरोध करना छोड़ देते हैं।

    हमें अन्धविश्वास, अज्ञानता और निर्धनता के दल-दल में फंसे समाज को बाहर निकालकर विकास, समृद्धि तथा ज्ञान की ओर उन्मुख करने हेतु निष्ठावान समर्पित और सेवाभाव से परिपूर्ण उन साथियों की आवश्यकता है जो कल सारथी की भूमिका निभा सके। जिनके द्वारा पिछड़े, दबे-कुचले, उदास मन को नई

    जिन्दगी का सन्देश दिया जा सके। समाज में जो जड़ता है, उसका दृढ़ता से उन्मूलन करना होगा। समाज को शिक्षित, प्रगतिशील और स्वावलम्बी बनाने के लिए योजनाएं बनानी होंगी और उन्हें कार्यरूप में परिणित करना होगा। हमें साधारण नागरिक बनकर जीने के बजाए, जागरुक नागरिक बनकर नेतृत्व करने की क्षमता को विकसित करना होगा। कुशल नेतृत्व करने के लिए पहले कार्यकर्ता बनना होगा क्योंकि एक सफल कार्यकर्ता ही कुशल नेतृत्वकर्ता बन सकता है।

    जिन्दगी में आगे बढ़ने और अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए आप अवसर की राह मत देखिए, अवसर का निर्माण कीजिए। समय लौटकर नहीं आता इसलिए हर क्षण का भरपूर उपयोग करें इसके लिए समय चक्र का निर्धारण करना होगा। जब आप समय चक्र के अनुसार कार्य करेंगे तो कम समय में अधिक कार्य होंगे। अपने श्रम और समय को लक्ष्य प्राप्ति में लगाएं। कुछ लोग अपने भविष्य के बारे में इतना सोचते हैं कि वर्तमान का आनन्द और समय का सदुपयोग के अवसर को खो देते हैं। कार्य की अधिकता से नहीं, अनियमितता से बचना ही आपकी योग्यता है। समाज में अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूकता पैदा करना हमारा लक्ष्य बने । कोशिश यह रहे कि जो कुछ अब तक चला आ रहा है उसे आधुनिक परिवेश में निरूपित करके स्वस्थ परम्पराओं को जन्म दिया जाए। कुछ नए प्रयोग होने चाहिए। याद रखना- झण्डा तभी ऊँचा होता है जब डण्डा ऊँचा हो। सोच ऊँची होगी तो संगठन भी ऊँचाई की ओर बढ़ेगा। जो यथार्थवाद है, वास्तविकता है, जिसमें वैज्ञानिकता है उसके पीछे कठोरता से अनुशासन बद्ध होना पड़ेगा। कर्मठता को महत्व देना होगा, अगर इन्सान पुरूषार्थी है तो पुरूषार्थी जीत जाएगा और भाग्य हार जाएगा। यह उसके कर्म की जीत होगी। सच्ची श्रद्वा और प्रेम से जो कदम उठाए जाएंगे उसमें सफलता अवश्य मिलेगी, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।

    वर्तमान परिवेश में हमारे समाज की वास्तविक स्थिति क्या है? यह आप से छिपी नहीं हैं। हमारे समाज का पुस्तैनी व्यापार छिन जाने के बाद हम लोग अवनति की ओर बढ़ते गए। शिक्षा के अभाव में समाज अंधकार में डूबता गया। अनेक अनर्गल प्रलापों और शोषणकारी शक्तियों के द्वारा गढ़ी गई लोकोक्तियों के द्वारा हमारे समाज का निरन्तर अपमान किया गया। समाज के जो चन्द लोग शिक्षित होकर और संघर्ष करके आगे बढ़ गए उन्होंने पलटकर समाज की ओर नहीं देखा और अपनी ही जाति छुपाने में उलझे रहे । राजनीतिक सोच और संरक्षण न होने के कारण हम अपने अधिकारों से अनभिज्ञ और वंचित रहे। जिन लोगों ने सदैव हमारे समाज का वोट लिया, नोट लिया और हमसे ही दरी बिछवाई. वही हमें अपमानित करते रहे। जबकि हमारे ही समाज में जन्मे

    पूज्य बापू महात्मा गांधी ने अपने पुरुषार्थ और त्याग के बल पर भारत को स्वतन्त्रता दिलायी। उन्हें पूरे देश ने सहृदयता से नमन करते हुए राष्ट्रपिता की उपाधि से अलंकृत किया। आज पूरे विश्व में जितनी प्रतिमाएं गांधी जी की सादर स्थापित हैं, उतनी किसी अन्य की नहीं हैं। एक तरफ इतना बड़ा सम्मान इस बिरादरी के महान सपूत का और दूसरी तरफ उन्हीं के वन्शजों की इस देश में यह जर्जर दशा, ऐसा क्यों? इसका जिम्मेदार कौन है? क्या आप? क्या हम या पूरा समाज या सामाजिक संगठन या आपकी शिथिलता या कौन? इन समस्याओं का कारण क्या है? और इसका निवारण क्या है? इसका चिन्तन और मंथन करके आपको अपने विवेक से समाज को एक नयी दिशा देने के लिए कुछ करना चाहिए, यही मेरा अनुरोध है।

दिनांक 19-04-2020 16:11:55
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