आज सर्वत्र जिस सामूहिक आदर्श विवाह की जो चर्चा हो रही है। जिसे एक क्रांतिकारी पहल के साथ-साथ विचारक्रांति के रूप में आज देशआ। विदेश में लागू किया जा रहा है। उसे प्रथम बार आज से 42 वर्ष पूर्व जिन स्वप्न दृष्टाओं में साकार किया, उनमें से एक प्रमुख नाम है। स्थ. नाथूराम साहू जी की। तात्कालीन सामाजिक कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में आपका स्थान तत्कालीन सामाजिक कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में आपका स्थान अग्रगण्य है इस आदर्श विवाह में नींव रखने वाले नीव के पत्थर कहें तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होगी। वे उस समय मंत्री (सचिव) रहे। इस तरह प्रायः प्रायः सभी कार्यों में इनकी सहभागिता अधिक रही। उनके पिता स्व. सुकालु राम साहू गौटिया बहुत ही प्रभावशील कुरहा थे। स्व. सुकालु राम जी और उनके सहयोगी सुरमाल परिक्षेत्र के आधार स्तम्भ रहे है। सन् 1964 के भीखापाली अधिवेशन में भी इनका योगदान स्तुत्य था। ऐसे महान समाज सेवक के घर 1 जुलाई 1942 को स्व. नाथूराम साहू जी का जन्म हुआ। ये एक होनहार विद्यार्थी रहे उन्होंने ग्रेजुएट पास किया। उन्होंने 1960 से 1970 के मध्य बागबाहरा के प.उ.मा. शाला में शिक्षकीय कार्य किया किन्तु प्रतिफल वो सन् 1970 के पश्चात् अपने आपको पूर्ण रूप से समाज सेवा में अर्पित किया। वे निरंतर समाज के हित में नित नए सोच लेकर अपने कार्य को गति प्रदान करते रहे ये सन् 72-73 में इसी संदर्भ में (आदर्श विवाह) हरिद्वार श्री रामशर्मा आचार्य जी से आशीर्वाद और दिशा निर्देश लेने भी गए । पडित श्री रामशर्मा आचार्य जी से आशीर्वाद और दिशा निर्देश लेने भी गए। पंडित श्री राम शर्मा आचार्य ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान कर इस कार्य की सफलता की कामना भी कि जिसके फलस्वरूप उस समय के गायत्री परिवार का एक बड़ा नाम पंडित ज्याला प्रसाद जी महासमुन्द, पंडित नरेन्द्र दुबे जी बागबाहरा ने पूरे वैदिक रीति से इस सामूहिक विवाह को सम्पन्न कराए। दुर्भाग्य से 7 दिसंबर 1977 को स्व. नाथूराम जी का अल्पआयु में ही निधन हो गया। इस तरह समाज का एक नक्षत्र हमारे बीच से विदा हो गए।