लाालपुर (बागबाहरा) निवासी 84 वर्षीय ला जैतराम साव मुनगसेर सामूहिक आदर्श विवाह के प्रमुख कार्यकर्ता थे। वे उस कार्यक्रम की तैयारी और भव्य आयोजन को याद कर आज भी रोमांचित हो उठते है। श्री साव बताते हैं कि अकाल की स्थिति थी, किसान मजदूर परिवार के समक्ष भूखमरी की नौबत आन पड़ी थी। तब समाज प्रमुखों ने भीखापाली में सम्मेलन आयोजित कर विचारविमर्श किया कि जिन युवक-युवतियों के विवाह को इस साल टाला नहीं जा सकता है, उनके लिए ऐसा क्या करे कि एक आदर्श समाज की स्थापना हो सके। तब शांतिकुंज हरिद्वार से जुड़े गायत्री परिवार के कुछ समाज प्रमुखों की प्रेरणा से सामूहिक विवाह की रूपरेखा बनी। समाज के संपन्न लोगों में किसी ने एक बोरी चावल दिया तो कोई नगद रुण का सहयोग दिया।
कहीं से लकड़ी का इंतजाम हुआ। किसी दाल और सब्जी की व्यवस्था की। इस तरह सामूहिक सहभागिता और समाज के पदाधिकारी मुनगासेर गांववासियों के अथक प्रयास से करीब महीने तक तैयारी करने के बाद भव्य आयोजन किया गया। साइकिल से गांव-गांव और घर-घर जाकर लोगों को प्रेरित करते थे। अंतत: सभी के सहयोग से कार्यक्रम सफल रहा।