रायपुर शहर के मोस्ट हैपनिंग प्लेस में शुमार तेलीबांधा इतिहास 185 साल पुराना है। रोज हजारों रायपुरियंस से गुलजार रहने वाला तेलीबांधा तालाब यंगस्टर्स के बीच 'मरीन ड्राइव' के नाम से पहचाना जाता है। 1835 में मालगुजार दीनानाथ साव और उनके बेटे शोभाराम साव ने पानी की कमी दूर करने 29.43 एकड़ में खदाई कर तालाब का निर्माण कराया था। इतिहासविद् डॉ. रामकुमार बेहार ने बताया, साव परिवार द्वारा बनाए गए तालाब का नाम तेलीबांधा क्यों रखा गया, इससे जुड़ी सटीक जानकारी कहीं नहीं मिलती। हालांकि, लोगों का कहना है कि शहर के पास तेलीबांधा नाम का गांव था। संभव है कि तालाब का नाम इसी गांव के नाम पर रखा गया हो। समय के साथ तालाब पर अतिक्रमण बढ़ता गया। 2016 में नगर निगम ने तालाब को रिनोवेट कर टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवलप किया। इसके बाद रिनोवेशन की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी की दे दी।
• 2016 में नगर निगम ने तालाब को रिनोवेट कर टूरिस्ट स्पॉट के रूप में किया डेवलप
• तालाब के पानी को जैविक तरीके से शुद्ध करने यहां लगे ट्रीटमेंट प्लांट के लिए मिल चुका है नेशनल अवॉर्ड
• चार साल पहले यहां 82 मीटर ऊंचा तिरंगा फहराया गया, ध्वज की लंबाई 105 फीट और चौड़ाई 60 फीट है।
• टूरिस्ट स्पॉट होने की वजह से इसके आसपास हैं 50 से ज्यादा रेस्तरां, जहां 500 से ज्यादा को मिल रहा है रोजगार
तेलीबांधा तालाब में जैविक तरीके से पानी को शुद्ध करने के लिए लगायए गए ट्रीटमेंट प्लॉंट को देशभर में सराहा गया था । इस मॉडल को गुरूग्राम में आयोजित कार्यक्रम में नेशनल एक्सीलेंस अर्वार्ड केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने प्रदान किया था । तालाब में 52 मीटर उंचा तिरंगा फहराया गया है । ध्वज की लंबाई 105 फीट और चौडाई 60 फीट है ।