इस समय ओबीसी समाज में अपनी जनगणना को लेकर उबाल है। लोग येन-केनप्रकारेण जनगणना 2021 के जनगणना फार्मेट में ओबीसी का कॉलम देखना चाहते हैं। वह तय कर चुका है कि यदि जी फॉर्मेट में ओबीसी का कॉलम नहीं होगा तो वह जनगणना का बहिष्कार करेगा, फिर भी हमारे जनप्रतिनिधि ओबीसी समाज की इस जागृति और जरुरत को हल्के से ले रहे हैं। इस उपेक्षा से ओबीसी समाज नाराज भी हो सकता है।
उक्ताशय की बात करते हुए ओबीसी महासभा जिला महामंत्री अजय साहू ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि ओबीसी मैटर पर संसद में आवाज उठाने वालों में अपना दल सांसद अनुप्रिया पटेल से देश के ओबीसी समाज को बहुत उम्मीद रहती है, लेकिन इस बार उन्होंने भी समाज को निराश किया है। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उन्होंने ओबीसी क्रीमीलेयर का मुद्दा उठाया। ऐसा लगता है कि वे भी ओबीसी समाज की जरुरत से अनजान हैं। आज जरूरत ओबीसी जनगणना की है इस समाज की जनगणना के आँकड़े नब्बे साल पुराने 1931 के हैं, जिसमें ओबीसी वर्ग की जनसंख्या 52 प्रतिशत बताई गई है।
आगे कहा कि यदि सरकार जनगणना नहीं कराना चाहती है तो फिर ओबीसी समाज को 52 प्रतिशत के हिसाब से प्रतिनिधित्व और भागीदारी दी जाये हम ओबीसी जनगणना की माँग छोड़ देंगे। क्रीमीलेयर पर ओबीसी महामंत्री अजय साहू ने कहा कि इसका दायरा बढ़ाने की नहीं इसे समाप्त करने की जरुरत है, क्योंकि क्रीमीलेयर असंवैधानिक है। इसके कारण जो कलेक्टर, एसपी बनना चाहते हैं वे आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाते हैं।