सत्यनारायण राठौर, माटून्दा, बून्दी (राजस्थान) मो.नं. 9057061232, 9784040862
समाज के कर्णधारों, संगठनों के नेताओं व तारणहारों द्वारा भाषणों में समाज की संख्या 18 करोड बातते है जो कि विश्व के अधिकतम आबादी वाले चीन, भारत, अमेरिका, रूप के बाद की जनसंख्या आती है । जापान, जर्मनी, इटली, स्पेन, फ्रांस जैसे संयुक्तराष्ट्र के लाडले स्थायी सदस्य की जनसंख्या भी इतनी नहीं है ।
कमाल की बातः- फिर भी समाज का राजनीतिक, आर्थिक स्तर नही के बराबर है, अन्य अल्पसंख्यक (कम आबादी वाले) समाज इसके मुकाबले काफी अच्छी स्थिति में है, यह एक शौचनीय बात है ।
समाज की प्रचलित स्थिति:- अखण्ड भारत मे समाज का स्वरूप, खण्ड-खण्ड (विभाजित) है जैसे कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, का कुछ क्षेत्र स्वयं को राठौर तेली समाज मानता है, अपने को सिर्फ 'तेली समाज' नही । यही से खण्डित (विभाजन) की धारणा उत्पन्न होती है एवं स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ की भावना उत्पन्न होती है जो कि एकता की परम दुश्मन है । राठोड तेली समाज की तर्ज पर अन्य धडे जैसे कि मारवाड का घांची समाज, बिहार - यूपी का गुप्त समाज, राजस्थान का साहू समाज, गुजरात का मोदी समाज, उडीसा का कुण्डु समाज, महाराष्ट्र का पेडणेकर समाज, तमिलनाडु का वानियार समाज, (जिसका 31 मार्च 2022 को राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त 10.5 प्रतिशत आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा समाप्त कर दिया) आंध केरल का चेटियार समाज, इसके अतिरिक्त अन्य धडे व समूह अस्तित्व मे है । मै जहां तक समझता हूँ कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वानियार समाज को सम्पूर्ण समाज न मानकर एक सूक्ष्म उप जाति का स्वरूप मानते हुए आरक्षण समापत कर दिया। अन्य कारण भी हो सकता है ।
यहा तेली समाज एक समन्दर की तरह प्रतीत होता है जिसमे अनेक उपजातिया रूपी नदियां समाहित है परन्तु संविधान, जाति का आरक्षण प्रदान । करती है न कि उपजातियों का ।
18 करोड का समाज मात्र लाखों मे थी दृष्टिगत नही होता। मणियों की माला एक एक मणि मे बिखरी नजर आती है ।
लगता है कि भगवान का पच्चीसवां अवतार इस धरती पर जन्म लेकर समाज को एकता के सूत्र में पिरोने आ सकता है ।
मेरे पिछले लेख "तेली जाति का आरक्षण मे घटता दायरा” मे एकता स्थापित करने का सुझाव दिया था जिसमे आधार कार्ड की भांति अखिल भारतीय तेली कार्ड निर्माण का सुझाव थ, कुछ (बहुत कम) लोगों ने इसे अच्छा बताया परन्तु कर्णधारों द्वारा संकुचित धारणा स्वरूप कोई प्रतिक्रिया नहीं आई । खैर समाज के व अखण्ड तेली के हित मे मेरा यह दूसरा मार्मिक लेख है। सभी से अनुरोध प्रार्थना है कि लेख को सकारात्मक लेकर समुचित कार्यवाही व वातावरण निर्णय करे ताकि अखण्ड तेली का विकास हो सके । तथा अखिल भारतीय स्तर पर समाज के आंकडे एकत्रित करने के लिए उपरोक्त जो "तेली कार्ड" बनाने का सुझाव दिया है उसे सभी संगठन अमल में लाने का प्रयास करें ।
समाज के हित में एक सुक्ष्म प्रयास...... ।
सत्यनारायण राठौर, माटून्दा, बून्दी (राजस्थान) मो.नं. 9057061232, 9784040862