संघर्ष से मिली सफलता का स्वाद ही अलग

     ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े और प्राथमिक शिक्षा भी गांव केही स्कूल में हुई। शहर से लगे ग्राम नेवरा हमारी मातृभूमि और कर्मभूमि दोनों ही है। उच्च शिक्षा के लिए बिलासपुर आए। तब नेहरू नगर में किराए के मकान में रहते थे। गांव में किराने की दुकान थी। खेती बाड़ी भी करते थे। यह बात वर्ष 1978-79 की है। वर्ष 1980 में हम सब गांव से शहर आ गए। यहां भी किराना दुकान का संचालन प्रारंभ किया। दुकान को बढ़ाने के लिए गांव की संपत्ति व मां का जेवर बेचना पड़ा । किराए के मकान के बजाय घर बनाने की सोची। सत्ताइस खोली में प्लाट लेकर घर बनाया। गृह प्रवेश के बाद छह महीने तक रहे। अच्छी कीमत मिली तो उसे बेच दिया। रहने के लिए घर खरीदा। अच्छी कीमत मिली तो उसे भी बेच दिया। कहते हैं न हर किसी की जिंदगी में एक दौर आता है जब प्रगित का मार्ग दिखाई देने लगता है। मेरे जीवन का वह टर्निंग पाइंट था। चार साल के लंबे संघर्ष के बाद सफलता मिलने लगी । इसी व्यवसाय को हम सबने आगे बढ़ाने का फैसला किया। रियल इस्टेट के धंधे में आज हमारा बड़ा नाम है। हमने लोगों का विश्वास और भरोसा जीता है। इसी विश्वास और भरोसे के दम पर रियल इस्टेट में हमारा नाम हो रहा है। हम सब परिवार के सदस्यों का यही कहना और मानना है कि लोगों के विश्वास के भरोसे हमने जो मंजिल पाई है उसे जीवनभर कायम रखेंगे। यह कहना है कालोनाइजर व कांग्रेस नेता बृजेश साहू का । वे बताते हैं कि यह व्यवसाय भरोसा के साथ ही गुडविल का है। अगर आपने लोगों का भरोसा जीत लिया तो फिर आपका व्यवसाय चल निकला। लोगों के भरोसे के दम पर ही हमने इसे आगे बढ़ाया। अब तो यह व्यवसाय काफी बढ़ गया है। स्वर्णिम एरा और रायपुर रोड में गीतांजलि सिटी नाम से दो बड़ी कालोनी का निर्माण कर रहे हैं। स्वर्णिम एरा में 1,500 मकान बना रहे हैं। इस मुकाम को हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। संघर्ष में हम डिगे नहीं । अड़े रहे । संकल्पशक्ति और दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर यह मुकाम मिला है। वे कहते हैं कि हम तो बच्चों को भी यही सीख देते हैं। खुशी की बात ये कि बच्चे और दोनों बहुएं भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं। व्यवसाय के अलावा समाजिक कायों में भी हम सब बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

Brijesh Sahu

बहुएं बंटा रहीं हाथ

    बृजेश के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा देवेंद्रकांत व छोटा अविनाश । दोनों अब अपने पिता के व्यवसाय में
हाथ बंटा रहे हैं। बड़ी बहू दीपिका गणित विषय में एमएससी हैं। रियल इस्टेट के व्यवसाय में वह एकाउंटेंट की भूमिका निभा रही हैं। छोटी बहू देव्यानी बीई इलेक्ट्रानिक्स हैं। वर्तमान में पीएससी की तैयार कर रही है।

बेटी भी पिता के

नक्शे कदम पर बेटी जयश्री की शादी हो गई है। दामाद नागेश आइटी सेक्टर में बेंगलुरु में जाब कर रहे हैं। बेटी एमबीए फायनेंस की डिग्रीधारी है। अब बेटी भी पिता के नक्शे कदम पर चल रही है। रियल इस्टेट के व्यवसाय में कदम रख चुकी है।

आय का 10 फीसद कर रहे दान

बृजेश की पत्नी जागेश्वरी साहू सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हैं। गायत्री परिवार से जुड़ी हुई हैं। संस्कृति ज्ञान परीक्षा की जिला संयोजिका हैं। बच्चों में संस्कृति की बातों का प्रचार प्रसार करती है। बृजेश व दोनों बच्चे व बहुएं भी सामाजिक कार्यों में अपनी सहभागिता निभा रही हैं। बृजेश बताते हैं कि आय का 10 हिस्सा वे समाज कार्य में दान दे देते हैं। साहू समाज के माध्यम से भी वे सेवा कार्य
को अंजाम दे रहे हैं।

दिनांक 10-05-2023 08:19:42
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संत संताजी महाराज जगनाडे

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