विश्व कानी इतिहास की विरांगना ताई तेलिन के जीवन और शून्य पर लिखित एक अनुपलब्ध नाटक के प्राप्त होने से इतिहास के पन्नों में कोई एक छोड़ना थाम के प्रकाश में आने की संभावना उजागर हुई है । ताई तेलिन पेशवाई के जमाने में सातारा जिले की वासु हा किले की किलेदार परशुराम पंतप्रतिनिधी की पत्नी बताई जाती है । कहां जाता है कि उस समय में राजा बाजीराव पेशवा ने किसी कारण से रुष्ट होकर परशुराम पंत को गिरफ्तार कर लिया था । जिस के विरोध में ताई तेलिन ने युध्द छेडकर किले का अधिकार देनेसे इनकार किया वह अपने पति की वापिसी की मांग कर रही थी । इस पर पेशवा ने अपने सेनापति बापू गोखले को किल्ला फतह करने की जिम्मेदारी सौंपी । ताई तेलीन के 3 वर्ष से भी अधिक काल के विद्रोह में लगभग 9 से 10 माह तक बापू को केले और उसमे तो होता रहा । अंततः किले की रसत समाप्त होने पर विवश अवस्था में ताई तेलिन को 1814 में गिरफ्तार करने में कामयाब हो सकी थी । ताई तेलिन की यशोगाथा प्यास के पन्नों में अब तक कहीं दबी हुई थी । लेकिन विदर्भ तेली समाज महासंघ की अार्वी तालुका सचिव नीलेश भुलाने को एक पुस्तकालय में पुराने समय में लिखे हुए ताई तेलिन नामक एक नाटक की प्रति प्राप्त हुई है । यह प्रति अधिक संसाधन के लिए उन्होंने तेली समाज महासंघ के नागपुर स्थित केंद्रीय कार्यालय तथा यवतमाल कार्यालय को भेजी है । आशा की जा रही है कि पेशवेकालीन वीरांगना ताई तेलिन की शौर्यगाथा पर अधिक से प्रकाश डालने पर इतिहास के पन्नों में उसे स्थान दिलाने में वह नाटक जी अनमोल साबित होगी