राजस्थान अंचल के हमीरपुर जिलान्तर्गत प्रमुख नग महोबा में धनीराम नामक व्यक्ति तेली समाज के ही थे । कवि जगनिक कृत आल्हखणड (आल्हा) में इसका उल्लेख है । वह आत्याधिक शक्तिशाली था, ही शस्त्र विद्या में निपुण था । बचपन से ही कुश्ची में अजेय योगद्धा रहा, परिणाम स्वरूप राजा ने पने प्रिय पुत्र का प्रमुख अंगरक्षक बना दिया । अंगरक्षक के रूप में धनीराम ने अपने प्राण की परवाह किए बिना स्वामी की रक्षा की । जान बचाई । प्रसन्न होकर राजा ने उसे समीपस्थ राजगिरी की जमीनदारी सौंप दी । वह वीर उत्साही तो था ही उसने अपने प्रिय सेनापती आल्हा और उदल को अनेक लडाईयों में विजय दिलाई । उसकी विरता का वर्णन आल्हा में इस प्रकार किया गया है ।
तब धनुवा तेली गरजा,
तुमको कोन्हू में दीहौं पेराय ।
तेल निकारकर तुम सबको गढ
कनौज में ही हौं पठाय ।
धनवा तेली लाल तमोली हो कन्नेज के सुर सरइार । आल्ह खण्ड के साथ ही उसकी जमीनदारी में भी उनकी विरता कि किस्से प्रचलित थे ।