वानिया चेट्टीयार (तेली वैश्य) कुलभूषण "माता कन्नगी देवी"
आज से लगभग हज़ारो वर्ष पूर्व तमिलनाडु में मदुरई के पास एक गांव में कोवलन नामक वानिया चेट्टीयार ( तेली समाज वैश्य ) रहता था। कोवलन की पत्नी का नाम कन्नगी था। कन्नगी कोवलन से असीमित प्रेम करती थी। कन्नगी वेदों शास्त्रो की ज्ञाता थी और उच्च कोटि की पतिव्रता थी। कोवलन एक व्यापारी था और व्यापार के कारण अक्सर उसे बाहर जाना पड़ता था। एक बार कन्नगी ने अपने हाथ के सोने के कंगन कोवलन को बेचने हेतु दिए। कोवलन व्यापार के लिये बाहर गया। एक नर्तकी जिसका नाम माधवी था, कोवलन उसी के यहाँ रुक गया और उस स्त्री से उसके सम्बन्ध बन गए। लेकिन कुछ दिन बाद कोवलन को ऐसा एहसास हुआ की मेरी पत्नी कन्नगी मेरी राह देख रही होगी। जो मैं कर रहा हूँ, वह गलत है। ऐसा विचार कर कोवलन वापिस घर लौटने की सोचने लगा।
मदुरई पहुंचकर कोवलन ने कन्नगी के सोने के कंगन मदुरई के व्यापारियो को बेच दिया। मदुरई में उस समय महाराजा पांड्य का शासन था। राजा पांड्य की पत्नी के कंगन चोरी हुए थे। राजा ने रानी के चोर को पकड़ने हेतु सिपाही फैला रखे थे। सिपाहियो ने अपने राज्य में कोवलन को देखा और उसके कंगनों को देखा जो हु बहु महारानी के कंगन जैसे थे। कोवलन को गिरफ्तार कर लिया गया। राजा पाण्ड्य ने कोवलन को मृत्युदंड दिया। उस ज़माने में चोरी, रेप इत्यादि पर सीधा गर्दन कलम होती थी। कोवलन की गर्दन धड़ से अलग कर दी गयी। उसे अपनी बात कहने का मौका ही नहीं दिया गया।
कोवलन की मृत्यु की खबर सुनकर कन्नगी को बहुत बड़ा झटका लगा। उसने राजा पांड्य के दरबार में प्रवेश किया और रानी के कंगन के समान 4 कंगन और दिखाए। और कहा की "ये कंगन मेरे है , मेरे पति चोर नहीं थे उनके पास आपकी रानी के कंगनों जैसे कंगन थे,आपने एकपक्षीय फैसला देकर मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया"
राजा ने जाँच करायी तो मालूम पड़ा की रानी के कंगन तो महल में ही है। राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ मगर अब चिड़िया खेत चुग गयी थी।
रोती बिलखती कन्नगी ने कहा--- अगर मैंने मन वचन कर्म से अपने पति की सेवा की है तो हे अग्निदेव मेरे निर्दोष पति की ह्त्या करने वाले इस राज्य का विनाश कर दीजिये। बच्चों और बूढो को छोड़कर इस राज्य में सब कुछ जलकर राख हो जाये। धिक्कार है ऐसे न्यायतंत्र को जहाँ मेरे पति को झूठे आरोप में मृत्युदंड दे दिया गया। कन्नगी ने ऐसा बोला ही था की पूरा मदुरई राज्य धू-धू कर जल उठा। राजा पांड्य गिड़गिड़ाने लगे मगर कुछ न हुआ। और चारो तरफ हाहाकार मच गया।
उधर कन्नगी पागलो की तरह खुले केश किये हुए रोती हुयी भटकने लगी। इतिहासकारो के अनुसार कन्नगी सशरीर एक विमान पर बैठकर स्वर्ग गयी थी और उसको लेने उसका पति स्वयं आया था। आज भी जब मदुरई जाते है तो रास्ते में कई किलोमीटर का क्षेत्रफल अग्नि से जला हुआ साफ साफ दिखता है। कांचीपुरम का शिव मंदिर भी इसी आग की चपेट में आ गया था।
ये घटना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत पर बल देती है। ये घटना वर्तमान समय में व्याप्त "Contempt of court" नामक व्यवस्था पर एक प्रहार है। अगर लोगो को न्याय नहीं मिलेगा तो वो न्यायपालिका का अनादर करेंगे ही..
वर्तमान में देवी कन्नगी की पूजा तमिलनाडु में होती है।