- अरविन्द गांधी, एडवोकेट, बलिया प्रान्तीय अध्यक्ष, उ०प्र० साहू राठौर युवा चेतना समिति
इक्कीसवीं सदी युवाओं की सदी कही जाती है क्योंकि इस सदी में विश्व की आबादी में से सबसे अधिक आबादी युवाओं की है। इस सदी में युवा प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर समाज में अपनी श्रेष्ठता कायम करते जा रहे हैं। इसी लिए इक्कीसवीं सदी को युवाओं की सदी कहा जाता है। कभी-कभी प्रश्न उठता है कि युवाओं की विशेषता क्या है? क्यों लोग युवाओं को विशेष नजर से देखते हैं? मेरी समझ से युवा का मतलब नव निर्माण, नव चेतना, नवऊर्जा, नवोन्वेषण, शक्ति का केन्द्र, नव जागरण परिवर्तन आदि अनेक विशेषतायें हैं। युवाओं की इसी विशेषताओं को देखते हुए कहा गया है कि-"जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है।"
युवाओं के इन सारे गुणों के कारण हम चाहते हैं कि साहू समाज के उत्थान में युवा आगे आएँ । परन्तु ये सभी गुण नैसर्गिक तो हैं लेकिन हकीकत के आईने में हम देखते हैं तो पाते हैं कि युवाओं का बहुत कम प्रतिशत अपने इन गुणों का सकारात्मक दिशा में प्रयोग करते हैं। युवाओं का अधिकतम प्रतिशत आज की अपसंस्कृति का शिकार होकर दिशाहीन हो गया है जो अपने सामाजिक दायित्व को भूल चुका है। यही वजह है कि हमारा समाज अपने उत्थान के कार्य में अपने ऊर्जावान युवाओं की क्षमता के उपयोग से वंचित हो रहा है जिससे समाजोत्थान का कार्य प्रभावित हो रहा है। साथ ही साथ हमारे युवाओं ने 'खाओ पियो-मौज करो' की संस्कृति को अपने जीवन में इतना गहरा उतार लिया है कि समाज निर्माण जैसे गंभीर कार्य में रुचि नहीं लेता। गंभीर कार्यों के प्रति उसका रवैया हताशा व निराशा भरा होता है। वह यह मान बैठा है कि सामाजिक निर्माण जैसा कार्य हमारे वश की बात नहीं है। हमारा युवा अपने गौरवशाली इतिहास से सबक नहीं लेता है क्योंकि हमारे समाज के गौरव चिन्ह कौन-कौन हैं इस सम्बन्ध में कोई ठोस जानकारी उन्हें कोई बताता नहीं है। जबकि साहू समाज का इतिहास इतना गौरवशाली है कि मात्र उसके बोध से युवा आत्मविश्वास से इतना ओत प्रोत हो जाएंगे कि वह किसी भी कार्य को असम्भव नहीं मान सकते हैं। इसका कारण यह है कि हमारे समाज में कुशल नेतृत्व का घोर अभाव है जिसके कारण समाज के सभी बिखरे हुए मोती रूपी व्यक्तियों को पिरोकर सही मायने में एक माला रूपी सशक्त संगठन का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जिससे समाज के युवाओं की क्षमता का उपयोग करके समाज का उत्थान किया जा सके।
युवा स्वप्रेरणा से बहुत कुछ इस लिए भी नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनको सकारात्मक दिशा में सही सहयोग एवं मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है |अगर ऐसा हो तो वे बहुत कुछ कर सकते हैं जो अन्य लोग नहीं कर पाते हैं जिससे पूरा समाज गौरवान्वित होता है। परन्तु आज यह देखने को मिल रहा है कि हमारे अभिभावक समाज के चिन्तक मनीषी, विद्वान, नेता एवं बुद्धिजीवी यह सोच रहे हैं कि युवाओं को अगर सही अवसर और सहयोग प्रदान किया जाए तो हमसे बेहतर कार्य कर सकते हैं और वे अब ऐसा कर रहे हैं। युवाओं को इन लोगों के सोच के अनुरूप कदम आगे बढ़ा कर समाजोत्थान में आगे कदम बढ़ाना चाहिए जिसके कारण उनके लिए सामाजिक व राजनैतिक कैरिअर का द्वार तेजी से खुलेगा । आज उ०प्र० साहू राठौर चेतना समिति एवं राष्ट्रीय तैलिक साहू राठौर चेतना महासंघ के संस्थापक, राज्यसभा सदस्य माननीय गांधी राम नरायन साहू जी का युवाओं को लगातार आगे लाने का प्रयास है जिसके कारण हम जैसे लोग सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र में पहचान व ताकत बना रहे हैं। मैं युवाओं का आहान करता हूँ कि वे समाजोत्थान के कार्य में लग जाएं ताकि पूरे समाज का समग्र उत्थान हो सके। तभी युवा शक्ति राष्ट्रशक्ति का नारा सार्थक सिद्ध होगा।