Sant Santaji Maharaj Jagnade
तेली जाती के लोग भारत और पाकिस्तान में पाये जाते हैं! तेली नाम “खाद्य तेल बनाने” अपने पेशे की वजह से दिया जाता है. पुराने समय में, इन लोगों को उनके छोटे तेल मिलों kolhu या घाना बैलों द्वारा संचालित करने के लिए या की तरह सरसों और तिलके बीज का तेल से खाद्य तेल निकालने के रूप में जाना जाता था! इनका पुश्तेनी काम तेल गाणी से तेल निकाल कर बेचना और रुई पिंजाई का काम करते हैं. मुस्लिम तेली को मंसूरी, Roshandaar या तेली मलिक भी कहा जाता है!
16 मई को भोपाल में होगा प्रदेश स्तरीय सम्मेलन
जबलपुर तेली समाज की आबादी के अनुसार उसे राजनैतिक महत्व नहीं मिल रहा है और न ही सरकार द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों की पदस्थापना महत्वपूर्ण विभागों में की जा रही। उक्त बात शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में राष्ट्रीय तेली साहू महासंगठन मध्यप्रदेश के नवनियुक्त मुख्य संरक्षक पूर्व विधायक किशोर समरीते ने कही।
इस समय ओबीसी समाज में अपनी जनगणना को लेकर उबाल है। लोग येन-केनप्रकारेण जनगणना 2021 के जनगणना फार्मेट में ओबीसी का कॉलम देखना चाहते हैं। वह तय कर चुका है कि यदि जी फॉर्मेट में ओबीसी का कॉलम नहीं होगा तो वह जनगणना का बहिष्कार करेगा, फिर भी हमारे जनप्रतिनिधि ओबीसी समाज की इस जागृति और जरुरत को हल्के से ले रहे हैं।
जबलपुर - छत्तीसगढ़ में 25 प्रतिशत साहू समाज की है। वहां का मुख्यमंत्री साहू समाज से होना चाहिए। क्योंकि इस समाज की संख्या अधिक होने के बाद भी समान पहचान और आरक्षण को मोहताज है। जबकि समाज का हमेशा राजनीति मेंसमाजिक स्तर पर, व्यवसायिक और कृषि छेत्र में हमेशा योगदान रहा है। इसके बाद भी आज तक किसी भी पार्टी इस समाज को कोई महत्व नहीं दिया।
औरंगाबाद - अखिल भारतीय तेली महासभा बिहार प्रदेश के संरक्षक, नौतन विधानसभा के सम्मानित विधायक नारायण प्रसाद साह जी को बिहार मंत्रिमंडल में स्थान देने पर अखिल भारतीय तेली महासभा के सदस्यों ने बधाई दी है। बधाई संदेश देने वालों में अखिल भारतीय तेली महासभा बिहार प्रदेश राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रामबहादुर प्रसाद गुप्त, अध्यक्ष अमितभ गुप्त, युवा अध्यक्ष संदीप कुमार साहू,