नगर पालिका केकड़ी के नवनियुक्त अध्यक्ष कमलेश साहू ने कहा कि समाज के उत्थान व विकास को लेकर कोई कमी नहीं रहेगी। समाज को आगे बढ़ाने में कोई कसर रही रहेगी। अध्यक्ष साहू शनिवार रात सावर में साहू तेलियान समाज की ओर से आयोजित अभिनन्दन कार्यक्रम में बोल रहे थे।
विद्वान अभी तक यह मानते हैं कि सिंधु सभ्यता काल जिसे पूर्व वैदिक काल भी कहा जाता है, सप्त सैंधव प्रदेश (पुराना पंजाब, जम्मू कश्मीर एवं अफगानिस्तान का क्षेत्र) में, जो मुनष्य थे वे त्वचा के रंग के आधार पर दो वर्ग में विभाजित थे । श्वेत रंग वाले जो घाटी के विजेता थे 'आर्य'' और काले रंग वाले जो पराजित हुये थे 'दास' कहलाये। विद्वान आर्य का अर्थ श्रेष्ठ मानते हैं क्योंकि वे युद्ध के विजेता थे। ये मूलत: पशु पालक ही थे। कालांतर में इन दोनों वर्गों में रक्त सम्मिश्रण भी हुआ और वृहत्तर समाज वर्गों में बंटते गया, जो संघर्ष की जीविविषा है।
मांडलगढ़ त्रिवेणी सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि विधायक गोपाल जी खंडेलवाल , विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय तेली महासभा राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष सूरज राठौर समाज के बड़े उद्योगपति , भामाशाह, शिवजी चंद्रवाल एवं बिहार से सूर्य देव प्रकाश साहू एवं अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय तेली महासभा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल राठौर ने अपने उद्बोधन में समाज हित की एवं संगठित रहने की बात कही,
तेली जाती के लोग भारत और पाकिस्तान में पाये जाते हैं! तेली नाम “खाद्य तेल बनाने” अपने पेशे की वजह से दिया जाता है. पुराने समय में, इन लोगों को उनके छोटे तेल मिलों kolhu या घाना बैलों द्वारा संचालित करने के लिए या की तरह सरसों और तिलके बीज का तेल से खाद्य तेल निकालने के रूप में जाना जाता था! इनका पुश्तेनी काम तेल गाणी से तेल निकाल कर बेचना और रुई पिंजाई का काम करते हैं. मुस्लिम तेली को मंसूरी, Roshandaar या तेली मलिक भी कहा जाता है!
16 मई को भोपाल में होगा प्रदेश स्तरीय सम्मेलन
जबलपुर तेली समाज की आबादी के अनुसार उसे राजनैतिक महत्व नहीं मिल रहा है और न ही सरकार द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों की पदस्थापना महत्वपूर्ण विभागों में की जा रही। उक्त बात शुक्रवार को आयोजित प्रेसवार्ता में राष्ट्रीय तेली साहू महासंगठन मध्यप्रदेश के नवनियुक्त मुख्य संरक्षक पूर्व विधायक किशोर समरीते ने कही।