Sant Santaji Maharaj Jagnade
दिपावली निमित्त सर्व तेली समाज बांधवासाठी दिपावली स्नेह मिलन चा कार्यक्रम आयोजित करण्यात आला आहे. तरी या या कार्यक्रमास खालील मान्यवर उपस्थित राहणार आहेत. मा.खा.श्री.रावसाहेब पाटील दानवे (प्रदेश अध्यक्ष भाजपा,महाराष्ट्र राज्य) मा.श्री. कैलासजी गोरंटयाल (माजी आमदार,जालना) मा.श्री.राजेशजी राऊत (उपनगराध्यक्ष,न.प.जालना) मा.श्री.अशोकआण्णा पांगारकर (उपप्रदेशाध्यक्ष,ओबीसी,जालना)
समस्त तेली समाज बंधु-भगिनीना सप्रेम संताजी तेली समाजाचे आराध्य दैवत तथा जगत गुरु तुकाराम महाराज यांची गाथा संकलीत करणारे संत शिरोमणी संताजी जगनाडे महाराज यांचे कार्य समस्त तेली समाज बांधवांपर्यंत पोहचावे या उदात्त हेतुने श्री संत संताजी जगनाडे महाराज यांची ३९५ वी जयंती उत्सव सोहळा सन २०१८ गेवराई येथे दि. ०९ डिसेंबर २०१८ रोजी सकाळी १०.०० वा. आपण साजरी करण्यात येणार आहे.
राष्ट्रीय साहू युवा विकास महासमिति जिला इकाई नरसिंहपुर के तत्वधान में जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण क्षेत्र की प्रतिभाशाली विद्यार्थियों समाज सेवीयो को सम्मानित करने के उद्देश्य से साहू समाज नरसिंहपुर का एक दिवसीय सद्भावना समारोह का आयोजन किया जा रहा है । कार्यक्रम शुक्रवार दिनांक 14 दिसंबर 2018 को सुबह 11 बजे तहान ग्राम दहलवाड़ा (गाडरवारा) जिला नरसिंहपुर में आयोजित होगा ।
भक्तिन माता राजिम के त्याग को लोग याद करते हैं।
राजिम की सांस्कृतिक ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धि के पीछे एक महान नारी का आत्मोत्सर्ग अनन्य सेवा भाव श्रम एवं साधना का फल जुड़ा हुआ है, भले ही इसे आज विस्मृत कर दिया गया हो अथवा जाति विशेष का कर्तव्य मान प्रबंधक वर्ग निश्चित हो गये हो पर जिस नारी ने निस्वार्थ भाव से अपना सब कुछ अर्पित कर दिया हो उसे नाम की कोई लालसा नहीं थी. उसने आराध्य का साथ मांगा था और अपना प्राणोत्सर्ग भी उन्हीं के श्री चरणों में किया था, आज भी अपने प्रिय भगवान के सामने इस सती की समाधि विद्यमान
राजिम छत्तीसगढ़ क्षेत्र का पवित्र ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। अपने पुरातन इतिहास की गौरवमयी परम्परा को आत्मसात किये यह धरोहर भगवान विष्णु की नगरी है । छत्तीसगढ़ के लाखों नरनारियों को माघ पूर्णिमा से शिवरात्री तक सांस्कृतिक एकता के पवित्र बन्धन में आबद्ध किए रहती है। यहां माह पर्यन्त विशाल मेला का आयोजन किया जाता है ।
अपने आप में उत्तर तथा दक्षिण भारत की संस्कृति को सजाए राजिम संगम के पुण्य को बांटती है और आज भी हर छत्तीसगढ़ीया कहा जावो बड़ दूर हे गंगा कहकर अपने सभी पवित्र धार्मिक कार्य इसी त्रिवेणी संगम (महानदी सेंदूर एवं पैरीनदी) में पूर्ण करता है ।