Sant Santaji Maharaj Jagnade
महाभारत में तुलाधर नामक तत्वादर्शी का उल्लेख लिता है जो तेल व्यवसायी थे किन्तु इन्हें तेली न कहकर वैशस कहा गया, अर्थात तब तक (ईसा पूर्व 3 री - 4 थी सदी) तेली जाति नहीं बनी थी । वाल्मिकी के रमकथा में भी तेली जाति का कोई उल्लेख नहीं है तथा अन्य वैदिक साहित्यों में भी तेल पेरने वाली तेली जाति का प्रय्तक्ष प्रसंग हीं मिलता है । पद्म पुराण के उत्तरखण्ड में विष्णु गुप्त नाम तेल व्यपारी की विद्धता का उल्लेख है ।
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वैश्य समाज की घटक इकाइयों में यह सर्वाधिक प्राचीन इकाइयों में यह सर्वाधिक प्राचीन इकाइयों में से सर्वप्रथम नहीं तो प्रारंभिक एक - तो निविर्वाद रूप से है । समाज के आर्थिक स्वरूप के विाककास का इतिहास बतलाता है कि प्राकृतिक सम्पदा के रूप में तिल, सरसों आदि के वाणिज्यिक उपयोग (तेल - निर्माण) आदि की सर्वप्रथम शुरूआत को जिस जन - संवग्र ने की, वे ही तेली कहलाये इस तेल - निर्माण के बाद समाज के आर्थिक जगतृ में हचल - सी मच गयी फिर तो अन्य अनेक फल - बीजों से तेल निकाले जानें लगे ।
सफल युवाओं से सबक लेगी समाज के युवा रिपुसूदन
झारखण्ड लोहरदगा । छोटा नागपुरिया तेली समाज उत्थान की प्रमंडलीय स्तर की बैठक बुधवार को शहर के तेली धर्म शाला परिसर में कोई । इस दौरान संगठन की मजबूती पर परिचर्चा कर कई प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय लिया गया । गुमला, सिमडेगा, खुंटी, लोहरदगा व रांची से आए तेली समाज के नेताओं वह प्रतिनिधियों ने इस दौरान सामाजिक व संगठन पहलुओं पर अपने विचार रखे ।
ठाणे जिला तेली साहू समाज चिंतन शिविर 2 सितंबर से 3 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा । राष्ट्रीय चिंतन शिविर शिविर गुप्ता Galaxy शुभारंभ मैरिज हॉल ठाणे संपन्न होगा । चिंतन शिविर में समाज को संगठित करने और नई दिशा देने के लिए तेली साहू समाज चिंतन करेगा ।
31 जुलाई 2017 को डॉक्टर ममता साहू राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय तैलिक साहू महासभा द्वारा कुल्लू हिमाचल प्रदेश में हिमाचल तेली एकता समाज प्रकृति की राज्य स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था । इस बैठक में देश भर से पदाधिकारी पधारे हुए थे ।