7 जनवरी " राजिम भक्तिन माता " की जयंती है, छत्तीसगढ़ के लाखों श्रद्धालु जो जानते और मानते हैं राजिम में एकत्र होते हैं | यह परंपरा सन १९९२-९३ से निरंतर जारी है और श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है | पुराने बुजुर्गों के अनुसार पूर्व काल में भी " बसंत पंचमी या रथ अष्टमी " के दिन समाज के प्रमुख लोग पितईबंद के अमरैया में एकत्र होकर भक्तिन माता की शोभायात्रा निकालते थे जो बंद हो गया था |
प्राचीन समय में चित्रोत्पला(महानदी) के तट पर बसे पद्मावतीपुरी(राजिम नगर का पौराणिक नाम) में राजिम नाम की एक गरीब किन्तु कर्मठ और धार्मिक स्वभाव की तेलीन रहती थी। घानी द्वारा तेल निकालकर घूम घूमकर बेचना उनका मुख्य व्यवसाय था। नित्य की भांति एक दिन जब वह तेल बेचने जा रही थी तो जमीन में दबे किसी पत्थर से अचानक टकरा गई।
साहु समाज के इतिहास में पहली बार बड़े पर्दे पर फिल्म तैयार हिंदी फीचर फिल्म भक्त मां कर्मा
साहू तेली समाज की आराध्य देवी भक्त शिरोमणि मां कर्मा देवी की जीवन पर आधारित फिल्म भक्त मां कर्मा अतिशीघ्र देशभर के सिनेमाघरों में रीलीज होने जा रही है फिल्म की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है
आरती संताजी चरणी ठेवितो माथा ।
संत तुकारामाची तुने तारीली गाथा ॥धृ.॥
जनम जनम ची पदरी होती भक्ती विठोबाजी,
रे संतु भक्ती विठोबाची ।
या जन्माला साथ मिळाली संत तुकोबाची ।
विठोबापंत धन्य जाहला तुझा जन्मदाता ।
आरती संताजी चरणी ॥1॥
जय राजिम जय कर्मा मैया, महिमा तेरी अपार है;
तुमको बारंबार नमन माँ, कोटि कोटि प्रणाम है....
भक्त शिरोमणि तुम कहलातीं, जाने सब संसार है;
ज्ञान भक्ति व कर्मा संगम, अद्भुत ये अवतार है ।