Sant Santaji Maharaj Jagnade
राजिम छत्तीसगढ़ क्षेत्र का पवित्र ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। अपने पुरातन इतिहास की गौरवमयी परम्परा को आत्मसात किये यह धरोहर भगवान विष्णु की नगरी है । छत्तीसगढ़ के लाखों नरनारियों को माघ पूर्णिमा से शिवरात्री तक सांस्कृतिक एकता के पवित्र बन्धन में आबद्ध किए रहती है। यहां माह पर्यन्त विशाल मेला का आयोजन किया जाता है ।
अपने आप में उत्तर तथा दक्षिण भारत की संस्कृति को सजाए राजिम संगम के पुण्य को बांटती है और आज भी हर छत्तीसगढ़ीया कहा जावो बड़ दूर हे गंगा कहकर अपने सभी पवित्र धार्मिक कार्य इसी त्रिवेणी संगम (महानदी सेंदूर एवं पैरीनदी) में पूर्ण करता है ।
प्रतिवर्ष के अनुसार ही वर्ष भी साहू समाज परिषद झिरिया के तत्वधान में वार्षिक सम्मेलन मां कर्मा जयंती दानवीर भामाशाह जयंती एवं महिला सशक्तिकरण का आयोजन दिनांक 1-5-2016 दिन रविवार को ग्राम दरगहनं सलोनी में किया गया है । सभी समाज बंधुओं से यह आवेदन किया गया है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पधार कर इस कार्यक्रम को सफल बनाए ।
विद्वान अभी तक यह मानते हैं कि सिंधु सभ्यता काल जिसे पूर्व वैदिक काल भी कहा जाता है, सप्त सैंधव प्रदेश (पुराना पंजाब, जम्मू कश्मीर एवं अफगानिस्तान का क्षेत्र) में, जो मुनष्य थे वे त्वचा के रंग के आधार पर दो वर्ग में विभाजित थे । श्वेत रंग वाले जो घाटी के विजेता थे 'आर्य'' और काले रंग वाले जो पराजित हुये थे 'दास' कहलाये। विद्वान आर्य का अर्थ श्रेष्ठ मानते हैं क्योंकि वे युद्ध के विजेता थे।
महासमुंद कर्मा जागृति महिला मंच महासमुंद के तत्वावधान में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्ष सती साहू के निवास स्थान में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत माता कर्मा की पूजा-अर्चना कर की गई। इस मौके पर सती साहू ने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का अभियान में गांवगांव में चलाना होगा। जनजागरूकता लानी होगी। बेटे की चाहत ने कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध करने में विवश हो जाते हैं।
भारतीय समाज विभिन्न संस्कृतियों और धर्म और जातियों से निर्मित है । इसकी सभ्यता बहुस्तरीय है । जैसे-जैसे आप इन स्तरों को उधाडते जाएंगे वैसे-वैसे आपको एक नए तथ्य एक नए सत्य मिलते जाएंगे । तेली जाति पर केंद्रित है इसीलिए ज्यादा उड़ान भरने की गुंजाइश भी नहीं है । तेली जाति के लोग पूरे भारत में पाए जाते हैं और अलग अलग नाम से जाने जाते हैं ।