आरती संताजी चरणी ठेवितो माथा ।
संत तुकारामाची तुने तारीली गाथा ॥धृ.॥
जनम जनम ची पदरी होती भक्ती विठोबाजी,
रे संतु भक्ती विठोबाची ।
या जन्माला साथ मिळाली संत तुकोबाची ।
विठोबापंत धन्य जाहला तुझा जन्मदाता ।
आरती संताजी चरणी ॥1॥
जय राजिम जय कर्मा मैया, महिमा तेरी अपार है;
तुमको बारंबार नमन माँ, कोटि कोटि प्रणाम है....
भक्त शिरोमणि तुम कहलातीं, जाने सब संसार है;
ज्ञान भक्ति व कर्मा संगम, अद्भुत ये अवतार है ।
कर्मा माता देवी हमारे, भाव उज्जवल कीजिए ।
छोड दैवे छल कपट को, मानसिक बल दीजिए ।
सत्य की बोले भाषाएं, सत्य को धारण करें ।
अंग्रेज इतिहासकार श्री आर. व्ही. रसेल एवं राय बहाद्दुर हीरालाल ने वृहद ग्रंथ में तेली जाति का वर्णन किया है । इसमें उत्पति संबंधित चार कथाएं दी गई है :-
1) एक बार भगवान शिव महाल (कैलाश पर्वत) से बाहर गये थे । महल की सुरक्षा की सुरक्षा के लिए कोई द्वारपाल नही थे, जिसके कारण माता पार्वती चिंतित हुई और आपने शरीर के पसीने की मैल से गणेश जी को जन्म देकर महल के दक्षिण द्वार पर तैनात किया । भगवान शिव, जब महल लौटे तब गणेश जी ने उन्हें नही पहचाना और महल में प्रवेश से रोक दिया, जिससे क्रोधित होकर,. भगवान शिव ने गणेश जी का सिर तलवार से काटकर मस्तक को भस्म कर दिया । जब रक्तरंजीत तलवार को माता पार्वती देखी ओर अपने पुत्र की हत्या की बात सुनी, तब वे दुखी हुई ।
महाभारत में तुलाधर नामक तत्वादर्शी का उल्लेख लिता है जो तेल व्यवसायी थे किन्तु इन्हें तेली न कहकर वैशस कहा गया, अर्थात तब तक (ईसा पूर्व 3 री - 4 थी सदी) तेली जाति नहीं बनी थी । वाल्मिकी के रमकथा में भी तेली जाति का कोई उल्लेख नहीं है तथा अन्य वैदिक साहित्यों में भी तेल पेरने वाली तेली जाति का प्रय्तक्ष प्रसंग हीं मिलता है । पद्म पुराण के उत्तरखण्ड में विष्णु गुप्त नाम तेल व्यपारी की विद्धता का उल्लेख है ।