Sant Santaji Maharaj Jagnade ![]()
जाति व्यवस्था का इतिहास पुराना नही है किन्तु वर्ण व्यवस्था प्राचीनतम है संभव है । प्रारंभिक अवस्था में कृषी कर्म ही सभी के लिए सहज रहा। कृषि अवंलबित कार्य में कुशलता भी इसकी पृष्ठभूमि बनी । यहां सत्ययुगीन किवदन्ति को स्वीकार करे तो कोल्हू निर्माण की परिकल्पना प्राचीन रही, जिसमें पेरने के लिए तेल उत्पत्ति के लिए तिल आदि बीज मिले जिससे सहज तेली का आधार कारण हुआ जो तेल एवं खली को उत्पन्न करे वही तेली.
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भारत वर्ष में सन 1931 में अंतिम बार जाति आधारित जनगणना हुई थी, जिसके आधार पर 3 से 4 प्रतिषत जनसंख्या अनुमानित है । छत्तीसगढ के रतनपुर राज्य सन 1818 से 1820 तक अंग्रेज अधीक्षक कर्नल एग्न्यू द्वारा परिवारों की गणना करायी गई थी, जिसमें साहू परिावर 9.5 प्रतिशत पाये गये । सन 1931 की जनगणना अनुसार साहू समाज की जनसंख्या 10.5 प्रतिशत थी । इसके बाद सरकार की नितियो में अनुकूलता के कारण पडोसी राज्यों से बडी संख्या में अगमन हुआ ।
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह आज ज़िला मुख्यालय कोरबा में आयोजित ज़िला साहू समाज के युवक-युवती परिचय सम्मेलन में शामिल हुए. उन्होंने समाज के युवक-युवतियों को आशीर्वाद प्रदान किया. मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में साहू समाज द्वारा दीपका में सामाजिक भवन निर्माण हेतु 10 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान करने की घोषणा की. उन्होंने कार्यक्रम में साहू समाज के स्मारिका का विमोचन भी किया.
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साहू ( सहा ) तेली समाज के विश्व विख्यात भौतिक शास्त्री प्रो. मेधनाथ साहा का जन्म 6 अक्टुबर 1893 को ढाका के शिव रतली ग्राम में हुआ था । वे सन 1916 में कलकत्ता विश्व विद्यालय में व्याख्यात नियुक्त हुए । वै सन 1923 में हलाहाबाद में प्रोफेसर पदस्थ हुये और सन 1938 तक सेवारत रहै ।
तेली साहू समाज राजनांदगांव में मॉं कर्मा की महा आरती सामाजिक मंच पर छत्तीसगढ एवं झारखण्ड के मा. मुख्यमंत्री द्वारा महाआरती सम्पन्न हुआ.
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राजनांदगांव - स्टेट स्कूल मैदान पर आयोजित भक्त माता कर्मा की महाआरती में साहू तेली समाज के लोगों ने हाजारों की संख्या में जुटकर एकजुटता का संदेश दिया । इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिह एवं झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दस भी शामिल हुए ।