Sant Santaji Maharaj Jagnade
क्रान्तिकारी स्व. गंगा प्रसाद साहू के पुत्र साहू मुनिलाल 'लालजी का जन्म 6 फरवरी सन् 1934 को कानपुर में हुआ। कविवर 'लालजी' संगीत, चित्रकारिता, वस्त्र निर्माण एवम् वास्तु के अप्रतिम शिल्पी हैं। उनकी काव्य रचनाओं का विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, स्मारिकाओं, समाचार पत्रों, संकलनों और सन्दर्भ ग्रन्थों में ससम्मान प्रकाशन होता रहा है तथा संस्थाओं द्वारा उन्हें पुरस्कृत और सम्मानित भी किया जा चुका है।
- राम लाल गुप्ता, दल्ली राजहरा दुर्ग (छत्तीसगढ़)
संसार की कोई भी जाति या समाज लीक से चलकर बुलंदियों तक नहीं पहुँचा। दुनिया का चाहे कोई व्यक्ति राष्ट्र, समाज या कोई व्यक्ति हो जब भी लीक छोड़कर आगे बढ़ा तो उसने एक नई ऊँचाई को छुआ।
हमारे तैलिक जाति के साथ भी एक ऐसी ही बिडम्बना है।
साहू मधुप गुप्ता, एडवोकेट अशोक नगर (म०प्र०)
किसी भी देश, समाज, जाति और समुदाय विशेष की संरचना, युगीन परिवर्तन, पुनरोत्थान एवं विकास में उसके युवा वर्ग की अहम् भूमिका होती है। जिसका युवावर्ग दिशाहीन, उद्देश्य-विहीन, आत्मलिप्त और निराश होगा उस देश और समाज का वर्तमान भी उसके अतीत से बदतर होगा और भविष्य दुखमय, पराधीन एवं अन्धकार पूर्ण होगा। इसलिये युवा वर्ग को निराशा के अंधेरों से निकाल कर सही दिशा में उसका मार्गदर्शन करना उतना ही आवश्यक है जितना कि उसको हर प्रकार के कुप्रभावों से बचाना आवश्यक है।
देवी सिंह राठौर अध्यक्ष राज्य ईकाई, इन्दौर (म.प्र.) राष्ट्रीय तैलिक साहू राठौर चेतना महासंघ
अपना तैलिक समाज देश के हर क्षेत्र में फैला एक विशाल समाज है परन्तु सम्पर्क के अभाव में यह अलग-अलग समूहों में बटा हुआ है। समाज के कुछ पुराने पंथियों ने भी अपनी हठधर्मिता बनाये रखने के कारण इसे अपने तक ही सीमित रखा और उसका उपयोग अपने हित में किया। वर्तमान बदलते युग में जब दुनियां ही आस-पास लगने लगी है तो हमें अपने समाज को प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने के लिए एक जुट होना होगा।
आर. पी. साहू. दिल्ली प्रदेशअध्यक्ष राष्ट्रीय तैलिक साहू राठौर चेतना महासंघ
आज साहू राठौर समाज के सम्मुख सर्वांगीण विकास की कठोरतम चुनौती है। जैसा कि जग जाहिर है कि सभी विकास के तालों की एक कुंजी है और वह है राजनैतिक विकास एवं सामाजिक प्रतिष्ठा। राजनैतिक विकास के बारे में सभी पूर्णतयः जानते हैं, अतः इस पर बात बाद में करेंगे पहले सामाजिक प्रतिष्ठा की बात करते हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा से यहाँ व्यक्तिगत रूप से समाज में प्रतिष्ठा का आशय नहीं है।