Sant Santaji Maharaj Jagnade
देश की सीमा में मुश्तैदी के साथ अपने कर्तव्यों का निवर्हन करने वाले पडित घनश्याम प्रसाद साह सामाजिक एट रचनात्मक कार्यों में अपनी भागीदारी देते आ रहे है। सामाजिक समता के पक्षधर पड़ित श्री साहू जी विकास एवं उत्थान की सोच को सकारात्मक पहल के साथ क्रियान्वित करने में सफल हो रहे है।
पश्चिम बंगाल तैलिक साहू सभा संबद्ध सेवड़ाफुली साह समाज ट्रस्ट व बेलघरिया कमरहट्टी साहू समाज की ओर से आयोजित कावडिया सेवा शिविर दियारा, हुगली व बीटी रोड में लगाया गया। इस मौके पर शंभू पंडित साव, राज कुमार साव, अरिवंद साव, पवन साव, प्रदीप साव, उदय साव, सुधीर गुप्ता, सर्जू साव, राजेश साव, राधे लाल साव उपस्थित थे।
पंचायत से संसद तक का सफर :
कुछ लोग इतने जुनूनी होते है कि जो चाहते हैं। उसे पूरा करते हैं, वे सफलता के लिये लगातार प्रयास करते रहते हैं उनका लक्ष्य मजबूत होता है। कि वे असंभव को संभव बना लेते है। श्री चंदूलाल साहू जी के व्यक्तित्व को यदि टटोला जाये तो यह बात सच लगती है।
घोला ग्राम-जिला मुख्यालय राजनांदगांव से मात्र 11 कि.मी. पर राजहरा झरनदल्ली मार्ग पर स्थित 5 हजार की आबादी वाला गांव माता की वह पुण्य भूमित हैं, जहां बालिका भानुमति के चमत्कार से लोग विस्मृत हो उठे। मध्यम किसान सोमनाथ साहू के परिवार में 9 मई 1911 को भानुमति का जन्म हुआ। 12 वर्ष की अवस्था में चमत्कार हुआ। शरीर में बड़े चेचक के दाने उभरे, जो निरंतर कम ज्यादा होने लगे बुखार तो होता ही था।
मतरी शहर से लगभग 3 कि.मी. दूरी पर तेलीन सत्ती गांव है। कुछ तथ्य पुरातत्व विभाग से तो कुछ ग्रामीणों द्वारा जानकारी मिली वह नीचे अंकित हैं। 15वीं, 16वीं शताब्दी में सातबाई नामक एक अविवाहित लड़की जो कि किरनबेर साहू जाति का एक प्रसिद्ध गोत्र (किरहा बोईर) गोत्र की थी। भनपुरी ग्राम में रहती थी। सात भाईयों की इकलौती बहन थी। इसलिये ये लोग सातो बाई का विवाह करके दामाद को अपने ही घर में (धरजिया) रखना चाहते थे।